हमारी आहार चर्या कैसी हो?Healthy Diet Chart In Hindi

Healthy Diet Chart In Hindi

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Healthy Diet Chart in Hindi | Wrong Lifestyle Habit | Fast Food and Health Problem | Balanced Diet Chart in Hindi | Fast Food Side Effect |Healthy Fast Food Options

हमारी आहार चर्या कैसी हो? Healthy Diet Chart In Hindi

Healthy Diet Chart In Hindi
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Healthy Diet Chart In Hindi – Dr.Jagdish Joshi, Life Style Expert 125

आज के समय में हमारी जीवनचर्या बहुत खराब हो गयी है | हमारे घरों में फास्ट फूड(Fast Food), कोल्ड ड्रिक्स(Cold Drinks) व बाजार के आहार में स्थान बना लिया है | आन लाईन भोजन की परम्परा ने हमारी आहारचर्या को ओर बिगाड़ दिया है | गलत आहार की वजह से हमारे बच्चे व हमारा परिवार रोग की खान हो गया है | यदि स्वस्थ रहना है तो जीवनचर्या को उचित दिशा प्रदान करनी होगी | यदि हमारे बच्चों को हम उचित आहार करवायेगे तो वे स्वस्थ व निरोगी होंगे ओर स्वस्थ समाज को बना पाएंगे |

बच्चों का स्वल्पाहार कैसा हो?(What is the good diet chart to eat every day):

यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है की बच्चों का स्वल्पाहार कैसा हो? बच्चों का स्वल्पाहार उनके शरीर को श्रेष्ठ पोषण, ऊर्जा व स्वास्थ्य प्रदान करने वाला होना चाहिए | प्राय: आजकल देखा गया है की छोटी उम्र मे ही बच्चे ऐसीडिटी व कब्ज के शिकार हो जाते है | यदि आप बच्चों के आहार में निम्नानुसार अपने आहार मे सुधार करेगे तो कोई कारण नही की बच्चे कभी अस्वस्थ नही होगे |

यदि बच्चों का मुख्य आहार क्षारीय (फल, कच्ची सब्जियां, पानी मे गले हुए बादाम, किशमिश, मनुक्का) है तो कोई कारण नही की रोग बच्चों के पास आयेगा ही नही | इसलिये कहते है ना कि आहार ही ओषधि है । यदि बच्चे अपने आहार को ओषधि बना लेते है तो कोई कारण नही की उन्हे ओषधि का सेवन करना पड़े |

उर्जा प्राप्त करने के लिये प्रातकाल सुबह स्वल्पाहार में क्या सेवन करे ?( Healthy Diet Chart In Hindi):     

प्रात काल: स्वल्पाहार ग्रहण करने की आवश्यकता होती है । यदि प्रातकाल: आपका पेट अच्छे से साफ हो जाता है तो ऐसी अवस्था में आपके लिये उर्जा पाने के लिये स्वल्पाहार का सेवन करना आवश्यक है । यदि पेट अच्छे से साफ न हो तो स्वल्पाहार ग्रहण नही करना चाहिए । ऐसे में खाली पेट रहना लाभप्रद है । यदि पेट साफ हो जाय व आवश्यक लगे और बिना स्वल्पाहार के न रह पाये तो प्रातकाल: स्वल्पाहार में मौसमी फलों, पानी में गले हुए किशमिश व मनुक्का का सेवन किया जा सकता है । किंतु यदि पेट बहुत अच्छे से साफ हो जाय और तेज भूख लगे तो बच्चें स्वल्पाहार रात्री को गले हुए बादाम व अखरोट का सेवन कर सकते है ।

प्राय: बच्चे प्रातकाल: का नाश्ता दो बार करते है । एक बार सुबह कोई पेय पदार्थ पीने के बाद और एक बार सुबह 9-10 बजे तक स्वल्पाहार का सेवन करते है ।

प्रथम स्वल्पाहार( Healthy Diet Chart In Hindi):             

जैसा की हम पूर्व में चर्चा कर चुके है कि प्रातकाल: प्रथम स्वल्पाहार किसी पेय पदार्थ के सेवन के बाद किया जाता है । इसलिये उक्त स्वल्पाहार कोई मौसमी फल या फल का रस होना चाहिए । यदि स्वल्पाहार कोई मोसमी फल है तो आपको अधिक लाभ होगा । क्योकि फलों में पर्याप्त मात्रा में क्षारीय तत्व पाये जाते है । वैसे भी सुबह के समय शरीर के पाचन अंग शरीर की सफाई का कार्य करते है ।

यदि आपके आहार में पर्याप्त मौसमी फल शामिल है तो निश्चित ही आपके शरीर को पर्याप्त मात्रा में रेशा प्राप्त होगा व प्राकृतिक मिठास के रुप में प्राकृतिक शक्कर भी प्राप्त होगी । इस प्रकार का स्वल्पाहार करने से आप कभी भी पाचन सम्बंधी व अन्य रोगों के शिकार नही होगें ।

व्दितीय स्वल्पाहार( Healthy Diet Chart In Hindi):    

 द्वित्तीय स्वल्पाहार में रात्री को पानी में गले हुए बादाम, किशमिश, अखरोट व पानी में गले हुए मुंग, मोठ, चने व अन्य व्दिदलीय आहार का सेवन करना चाहिए । उक्त आहार पचने में आसान व शरीर को शक्ति प्रदान करता है । किंतु यहाँ ध्यान देने योग्य बात है कि हमें उक्त आहार को अच्छी तरह से चबा-चबा कर ही सेवन करना चाहिए ताकि इनका अच्छे से पाचन हो सके और आप गैस के भी शिकार न हो ।

प्राय: यह देखा गया है कि बच्चे पानी मे गले हुए मूंग व मोठ का सेवन बहुत जल्दी-जल्दी बिना चबाये करते है और गैस रोग का शिकार हो जाते है । किसी भी आहार के सेवन का मूल मंत्र है कि उन्हे अच्छे से चबाओं, जितना अधिक आप चबाएगे उतना आहार का पाचन जल्दी हो जाएगा और आप कब्ज के साथ-साथ गैस के भी शिकार नही होगें ।

यदि बच्चे पका हुआ आहार जैसे पोहा, इडली, उपमा या कोई अन्य आहार पसंद करते है तो उन्हे इनका सेवन फलों के सेवन के बाद कर सकते है | ध्यान रखे उक्त आहार की सीमित मात्रा का ही सेवन करना है |

यदि बच्चे स्वल्पाहार में प्राकृतिक स्वल्पाहार का सेवन करते है तो आप नकारात्मक आहार के सेवन से बच सकते है । क्योकि यदि आप भूखे है तो आप को नकारात्मक आहार का सेवन करना ही पडता है । यदि बच्चे नकारात्मक आहार का सेवन करते है तो बच्चों का निरंतर स्वास्थ्य प्रभावित होता है और वे आगे चलकर अनेक रोगों के शिकार हो जाते है ।

हमारी आहारचर्या कैसी हो?( Healthy Diet Chart for Indian):

हमारे व्दारा सेवन किए गए आहार के आधार पर ही हमारा स्वास्थ्य निर्भर करता है | इसलिए हमारा आहार सकारात्मक ही होना चाहिए ताकि आपका स्वास्थ्य अच्छा बना रहे |

दोपहर का भोजन( Healthy Diet Chart for Indian Family) :                                                                                                              

दोपहर के भोजन मे पर्याप्त संख्या में चपाती, पर्याप्त दाल, भरपूर सब्जिया, सलाद, चटनी व ताजी छाछ शामिल होना चाहिए | इस प्रकार का भोजन बढ़ती हुई उम्र के स्वास्थ्य व शरीर के विकास के लिए आवश्यक है |

सायकालीन स्वल्पाहार(Healthy Diet Chart for Indian Vegetarian):                                                                                                      

सायकालीन स्वल्पाहार मे मौसमी फलों का सेवन किया जा सकता है |

सायकालीन भोजन सुपाच्य होना चाहिए( Healthy Diet Chart In Hindi ):                                                                                

जहाँ तक हो सके सूर्यास्त के पूर्व भोजन कर लेना चाहिए । हमारे ऋर्षि-मुनि भी सूर्यास्त के पूर्व भोजन करने की सलाह देते है । सूर्यास्त के पूर्व भोजन करने से पाचन प्रणाली स्वस्थ्य रहती है और भोजन आसानी से पच जाता है । आहार में दाल व गरिष्ठ आहार का सेवन कदापि न करे । क्योकि दाल प्रोटीन का स्वरुप होती है और प्राय: रात्री में कोई श्रम वाला कार्य नही किया जाता है, इस वजह से दाल पचती नही और बच्चे कब्ज के साथ-साथ अनेक रोगों का शिकार हो जाते है । बच्चों को दिन में दाल की पर्याप्त मात्रा सेवन करना चाहिए ताकि दिन के वातावरण मे जब सूर्य अपनी प्रखरता पर रहता है तब दाल का आसानी से पाचन हो जाता है । दाल के आसानी से पचने से बच्चों के सम्पूर्ण शरीर का विकास आसानी से होता है ।

देर रात्री को भोजन करना(Wrong Life Style Habits):                                                                            

प्राय: बच्चे देर रात्री को भोजन करते रहते है । देर रात्री को किया गया भोजन आसानी से नही पचता है । क्योकि सूर्यास्त के बाद हमारी पाचन अग्नि मंद हो जाती है । पाचन अग्नि के मंद हो जाने की वजह से गरिष्ठ भोजन मुश्किल से पचता है । सूर्यास्त के बाद भोजन करने से भोजन मे कीड़े गिरने की पूर्ण संभावना रहती है इसलिये सूर्यास्त के पूर्व खाने की आदत डाले ताकि पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन हो सके व भोजन का पाचन अच्छे तरह से हो सके । जहाँ तक हो सके सुपाच्य व आसानी से पचने वाला भोजन करना चाहिए ताकि भोजन का पाचन आसानी से हो सके । इसीलिये जैन धर्म भी रात्री भोजन की अनुमति नही देता है ।

सोने के पूर्व शरीर को सक्रियता प्रदान करे(Ek Healthy Diet Chart):

प्राय बच्चे भोजन कर व टीवी देखकर तुरंत सो जाते है | भोजन करने के बाद शारीरिक रूप से सक्रिय नही होने की वजह से भी बच्चों को पाचन संबंधी समस्या हो जाती है | किन्तु शाम के भोजन के 1 घंटे बाद यदि हम कुछ शारीरिक गतिविधि करते है तो पाचन संम्बाधित रोगों से सुरक्षित रहते है | इसी उदेश्य से कुछ प्रयोग दिये जा रहे है, जिन्हे आप अपनी जीवनचर्या का अंग बनाकर पाचन संबधित रोगों के साथ-साथ स्वस्थ्य व निरोगी हो सकते है |

रात को सोने के पूर्व व भोजन के 1 घंटे बाद 15-20 मिनिट पैदल टहले इससे भोजन का पाचन आसान हो जायेगा । रात्री को सोने के पूर्व नाभि पर 5-10 बूंद खोपरे का तेल (गर्म मौसम में) या सरसों का तेल (ठंडे मौसम में) लगाकर 15-20 बार क्लॉक वाईज व एंटी क्लॉक वाईज़ हल्के हाथो से मसाज करे, इस प्रयोग को नियमित रुप से करने से पाचन संस्थान अच्छे से कार्य करता है और होठ भी नही फटते है व बच्चे सर्दी व खांसी से सुरक्षित रहते है |

रात्री को सोने के पूर्व तलवों की मालिश करे(Reflexology Massage):                                                                                                

रात्री को सोने के पूर्व तलवे की मालिश 5-10 मिनिट तक के लिये करते है तो दिन भर की थकान उतर जाती है और नींद गहरी आती है । यदि आप किसी खाद्य तेल से मालिश करते है तो सम्पूर्ण शरीर को स्वास्थ्य लाभ मिल जाता है । क्योकि एक्यूप्रेशर के मतानुसार शरीर के समस्त अंगों के दाब बिंदुओ का अंतिम सिरा पैरों के तलवे मे है |

बिना भूख के भोजन कभी भी सेवन न करे?(What is the healthy Diet chart for Indian):

जब तक आपको असली भूख न लगे तो भोजन का त्याग करना ही श्रेष्ठ है | क्योकि यदि आप बिना भूख के भोजन ग्रहण करते है तो रोग की नीव पड़ जाती है, इसलिए जब तक कडक भूख (वास्तविक भूख) न लगे भोजन का त्याग करे | किन्तु जब तक भूख न लगे और थोड़ी सी भूख का अहसास हो तो नियमित रूप से किया जाने वाला भोजन न करते हुए फल/सब्जियों का सूप का सेवन किया जा सकता है । भूख को बढ़ाने के लिए खट्टे फलों, आंवला पानी, जीरा पावडर, नींबू पानी का सेवन किया जा सकता है |

क्या बिना आग के भोजन पचता है?(Healthy Diet Chart for Indian Family in Hindi) :    

क्या बिना आग के भोजन पच सकता है? जब बिना आग के सामान्य आहार नही पक सकता है तो बिना भूख के भोजन कैसे पचेगा? क्योकि जब भूख नही लगती है तो पाचन प्रणाली में पाचक रस नही बनाती है तो ऐसी अवस्था में भोजन नही पचता है और अनपचा भोजन पाचन प्रणाली मे रहकर निरंतर सड़ता रहता है और सम्पूर्ण शरीर को रोगी बनाता है | यदि गैस के बर्नर मे आग नही है और हम कुकर मे दाल रख गैस पर रखा दे तो क्या बिना आग के दाल पकेगी? कदापि नही पकेगी, तो फिर बिना तेज पाचन अग्नि के भोजन कैसे पचेगा?

 

 यदि हम इस कथन का जीवन में कठोरता से पालन करे तो कोई कारण नही की आप कभी रोगी हो | बिना भूख के जानवर कभी भी आहार ग्रहण नही करते है । आवश्यकता है केवल दृढ प्रतिज्ञा की मै बिना भूख के भोजन कभी भी सेवन नही करुगा तो आप कभी रोगी ही नही होगें |

क्योकि जब आप बिना भूख के भोजन को करते है तो भोजन शरीर में सडने लगता है और शरीर के रोगी होने की शुरुवात हो जाती है ।

Indian Diet

महिलाओ के लिए श्रेष्ठ आहारचर्या (Healthy Diet Chart for Women):

महिलाए हमारे परिवार का आधार है | प्राय: यह देखा गया है की हमारे घर की महिलाए अपने आहार के प्रति लापरवाह होती है | वे अपने परिवार के लिए सभी प्रकार के श्रेष्ठ आहार को बनाती है | किन्तु अपने लिए कुछ विशेष आहार का सेवन ही नही करती है |

इसके साथ ही वे लंबे समय तक भूखी रहती है |उपवास तो उनके जीवन से जुड़ा रहता है | इस वजह से वे अनेक शारीरिक रोगो को भोगती है |

किन्तु यदि महिलाए आपने आहार मे उचित परिवर्तन करती है तो वे जीवन भर स्वस्थ व निरोगी रहती है |

 

स्वास्थ्य का अनमोल सूत्र  :

जो आहार जितना जल्दी सड़ता है उतना ही जल्दी पचता है | इस बात को हम एक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते है | एक टेबल पर आप पालक, केला, अंगूर रखे | इसी प्रकार इसी टेबल पर आप बिस्किट, सेव व कचोरी रखे |

आप देखते की पालक, अंगूर, केला 1 दिन मे सड जाएगे | किन्तु उसी टेबल पर रखे बिस्किट, सेव व कचोरी बिलकुल नही सड़ते है |

इस प्रकार हम समझ सकते है की जो आहार जितना जल्दी सड़ता है उतना जल्दी पचता है | इसलिए हमे स्वल्पाहार मे ऐसे ही आहारो को शामिल करना चाहिए |

फास्ट फूड और आपका स्वास्थ्य (Fast Food and Health Problem):

वर्तमान समय में फास्ट फूड हमारे बच्चों के स्वास्थ्य पर बहुत ही घातक प्रभाव डाल रहा है । इसके सेवन से बच्चे अनेक रोगों के शिकार हो रहे है । फास्ट फूड के नकारात्मक पक्ष के बारे में बहुत से लोग जानते है कि इनका सेवन स्वास्थ्य को कितना घातक नुकसान पहुँचा रहा, इसके बाद भी बच्चे व युवा फास्ट फूड के सेवन को जारी रखे हुए है ।

फास्ट फूड व जंक फूड विदेशों की संस्कृति का एक हिस्सा है । किंतु हमने फास्ट फूड को देशी व्यवस्था में बदल दिया है और उनमें अनेक विपरीत प्रकार के मसाले व आहार मिला कर उसका स्वरुप ही बिगाड दिया है ।विदेशों में इतनी अधिक मात्रा में तेल, मसालों व अन्य पदार्थ का प्रयोग नही होता है ।

विदेशों में फास्ट फूड खाना उनकी मजबुरी है, क्योकि वहाँ हमेशा मायनस में तापमान होता है । वहाँ रोज भोजन बनाना संभव नही हो पाता है । केवल अत्यधिक सम्पन्न व्यक्तियों को ही ताजा भोजन नसीब होता है । वहाँ इतना कम तापमान होने की वजह से खाना बनाना बहुत मुश्किल होता है । वहाँ पर लम्बे समय तक बना हुआ भोजन रखने पर भी खराब नही होता है क्योकि वहाँ तापमान मायनस अर्थात बहुत कम होता है । किंतु हमारा देश गर्म देश है यहाँ भोजन बहुत जल्दी खराब हो जाता है । इसलिये फास्ट फूड हमारी संस्कृति के लिये कदापि उचित नही है ।

हमने फास्ट फूड (Fast Food)में अत्यधिक मसाले व रसायनों का प्रयोग करना प्रारम्भ कर दिया है जिससे उनका सेवन करने से पाचन संस्थान को गम्भींर नुकसान पहुँचता है ।

आज कल अत्यधिक व्यस्तता व फेशन की वजह से व्यक्ति भोजन बनाना भी नही चाहता है और फिर स्वाद व इसकी सहज उपलब्धता की वजह से इसका सेवन अत्यधिक बढ गया है । इनकी आन लाईन सहज उपलब्धता लोगों को इन अत्यधिक मसाले व तेल से युक्त भोजन का आदि बना रही है ।

फास्ट फूड और मोटापा(Fast Food and Obesity):    

फास्ट फूड व जंक फूड के अत्यधिक सेवन की वजह से बच्चों के शरीर में अत्यधिक कैलोरी जाती है और इनका अत्यधिक सेवन करने वाले बच्चे बचपन से ही कब्ज, ऐसिडिटी, मोटापे(Obesity), मधुमेह (Diabetics), हायटस हर्नियाँ(Hiatus  Hernia) व अन्य गम्भींर रोगों के शिकार हो रहे है। आहार वैज्ञानिकों ने खोज करके बताया है कि फास्ट फूड का अत्यधिक समय तक सेवन करने से मस्तिष्क पर बहुत ही घातक प्रभाव डालता है, जिससे बच्चों की स्मरण शक्ति पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है ।

चाकलेट, बेकरी खाद्य सामग्री, आईस्क्रीम, नमकीन स्नेक्स व साफ्ट ड्रिक्स में कोई पोषक तत्व तो पाये नही जाते है |
किंतु इनमे अत्यधिक कैलोरी पाई जाती है । इन पदार्थों का आप जितना अधिक मात्रा में सेवन करते है तो आप पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन नही कर पाते है इस वजह से शरीर के संचालन के लिये आवश्यक पोषक तत्व शरीर को प्राप्त नही होते है और आप बचपन से ही विभिन्न विटामिंस, खनिज लवण व रेशे के अभाव में अनेक रोगों के शिकार हो जाते है।

फास्ट फूड व जंक फूड से शरीर को हानियाँ(Side Effect of Fast Food in Hindi):                                                                        

फास्ट फूड व जंक फूड (Junk Food)के सेवन से स्मरण शक्ति प्रभावित होती है । अधिक पढने के बाद भी याद नही होता है । पढाई समझ में नही आती है, हर विषय समझने में कठिनाई होती है । इसके सेवन से मन की स्थिति खराब होती है और हम अपने आप को एकाग्रचित्त नही कर पाते है । इनके सेवन से मस्तिष्क के हिप्पोकेम्पस वाले भाग में सूजन आ जाने से स्मरण शक्ति व समझने की क्रिया बुरी तरह से प्रभावित होती है । इनके सेवन से शरीर को अत्यधिक मसाला, वसा व अत्यधिक शक्कर प्राप्त होती है जिससे मस्तिष्क को सीखने व समझने की क्षमता में कमी आती है और बच्चे पढाई में पिछड जाते है ।

फास्ट फूड के सेवन से बच्चों की याददास्त कमजोर (Weak Memory) होती है । इनके सेवन से इंसुलिन का स्तर बढता है जो स्मरण शक्ति को बुरी तरह से प्रभावित करता है ।

फास्ट फूड के सेवन से स्मरण शक्ति कमजोर होती है(Fast Food and Memory) :          

शरीर व मस्तिष्क के सही व कार्यक्षम (Powerful Mind)संचालन के लिये आहार में फेटी ऐसिड का शामिल होना आवश्यक है । फेटी ऐसिड जैसे ओमेगा 6 व ओमेगा 3 । आहार में इनकी कमी की वजह से भुलना, याददाश्त में कमी, याद नही रहना, भ्रमित बुध्दि व अनेक मस्तिष्क सम्बंधी विकार (Brain Disorder)होते है जिससे पढाई बुरी तरह से प्रभावित होती है । इनके सेवन के वजह से बच्चे अवसाद के शिकार हो जाते है इस वजह से छोटी से विपरीत होने पर वे जीवन के प्रति गलत कदम उठा लेते है ।

इसी प्रकार फास्ट फूड(Fast Food) व जंक फूड का सेवन करने की वजह से उन्हे आहार में आवश्यक ऐमिनों ऐसिड प्राप्त नही होते है इस वजह से बच्चे अवसाद का शिकार हो जाते है । इनके सेवन से शरीर थका-थका व उर्जा विहिन हो जाता है । इनके सेवन से शरीर का अम्ल स्तर बहुत बढ जाता है जिससे छाती, गले व पेट में जलन होती है और छोटी उम्र में बालक ऐसिडिटी का शिकार हो जाता है । इनमें सोडियम बेंजोएट होता है जिसका सेवन विधार्थियों को मानसिक रुप अत्यधिक सक्रिय बना देता है तो उसकी एकाग्रता को खत्म करता है । फास्ट फूड में अत्यधिक नमक, शक्कर व नकारात्मक वसा का अत्यधिक प्रयोग होता है ।

फास्ट फूड(Fast Food), पिज्जा, बर्गर, चाकलेट, बिस्किट, कोल्ड ड्रिक्स व अन्य गरिष्ठ आहार का सेवन करना : 

सामान्य अवस्था में फास्ट फूड, पिज्जा, बर्गर, चाकलेट, बिस्किट, कोल्ड ड्रिक्स व अन्य गरिष्ठ आहार का सेवन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। किंतु यदि बच्चे सर्दी व खांसी के शिकार है और वे इन आहारों का सेवन करते है तो वे कभी भी कब्ज,कफ व खांसी व अन्य रोगों से मुक्त नही हो पाते है ।

देशी फास्ट फूड के विकल्प (Healthy Fast Food Options):                                                                                            

हमारे देशी आहार जैसे अंकुरित अनाज, पानी में गले हुए ड्राय फ्रूट्स, ताजे फल, सब्जियों का सलाद को हम देशी फास्ट फूड कह सकते है | इसी प्रकार पकाए हुए फास्ट फूड में हम वेजिटेबल दलिया, खिचड़ी, उपमा, मोरधन को शमिल कर सकते है | 

कोल्ड ड्रिंक्स स्वास्थ्य के लिए घातक(Side Effect of Cold Drinks) :

वैज्ञानिको ने अनेक शोधों के बाद सिद्ध किया है की कोल्ड ड्रिंक्स स्वास्थ्य के लिए कभी भी लाभप्रद नही हो सकते है | इनमे अत्यधिक शक्कर की मात्रा होती है | कोल्ड ड्रिंक्स का अत्यधिक सेवन करने से अत्यधिक शक्कर तो शरीर मे जाती ही है साथ अन्य रासायनिक पदार्थ भी शरीर मे जाते है और शरीर को गंभीर नुकसान पहुचाते है |

देशी कोल्ड ड्रिक्स के श्रेष्ठ विकल्प (Healthy Cold Drinks Options):                                                                                   

देशी कोल्ड ड्रिक्स के अनेक विकल्प हमारे सामने है | जैसे ताजी छाछ, लस्सी, मीठा दूध, दूध के विभिन्न फ्लेवर्स, फर्मेन्टड मिल्क, ताजे फलो का रस, गन्ने का ज्यूस, सब्जियों का सूप, सत्तू पेय, केरी का पना व अन्य प्राकृतिक आहार | ये कोल्ड ड्रिक्स के श्रेष्ठ देशी विकल्प है | इनका सेवन हमारे स्वास्थ्य को मजबूती प्रदान करता है | इसके साथ ही उक्त पेय बहुत कम कीमत में हमें मिल जाते है | तो क्यों नहीं हमें देशी कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन करे | इस प्रकार हम स्वस्थ समाज का निर्माण कर पाएंगे |

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https://en.wikipedia.org/wiki/Healthy_diet

https://simple.wikipedia.org/wiki/Healthy_diet

https://en.wikipedia.org/wiki/List_of_diets

 

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