जल की पट्टी  Water Therapy in Hindi

water tharaphy in hindi

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जल की पट्टी Water Therapy in Hindi

जल की पट्टी  Water Therapy in Hindi – lifestyleexpert125.com 

जल की पट्टी : कब्ज व गर्मी से मुक्ति

Water Therapy in Hindi -प्राकृतिक चिकित्सा बहुत ही अनमोल चिकित्सा है | प्राकृतिक चिकित्सा को बहुत आसानी से घर पर किया जा सकता है | इसके नियमित प्रयोग से व आहार के उचित सेवन से शरीर रोग मुक्त होता है | जब हमारे शरीर में टॉक्सीन(विष) एकत्र हो जाता है तो शरीर रोगी होता है | पट्टियो के प्रयोग से शरीर विष मुक्त होता है |

इसी के साथ पट्टियों के प्रयोग को आसानी से घर पर ही किया जा सकता है | इसमें घर पर उपलब्ध पुराने सूती कपड़े व शाल को ही प्रयोग में लाया जा सकता है | ठंडी पट्टियों का शरीर के विभिन्न अंगों पर किया जा सकता है | जिस अंग पर इस पट्टियों का प्रयोग करते है उसे उस अंग की पट्टी के नाम से जाना जाता है |

जब हम इस पट्टी का प्रयोग एक साथ सम्पूर्ण अंगों पर करते है तो यह प्रयोग चादर लपेट कहलाता है |

जल की गीली पट्टी (Water Therapy in Hindi):  जल की पट्टी को बार-बार बदलकर गीला कर लगा के रखते है  तो उस पट्टी को ठंडी गीली पट्टी कहते है |

किन्तु गीली पट्टी  के ऊपर गरम कपड़ा या फलालेन से ढकते है तो  पट्टी के अंदर ताप पैदा होता है | पट्टी के अंदर तापमान बढ़ने से ही रक्त संचार में लाभ होता है | यदि पट्टी के अंदर का तापमान नही बढ़ता है तो यथेष्ट लाभ प्राप्त नही होता है |

जल की पट्टी कैसे रखे?(Water Therapy in Hindi): जल की पट्टी बहुत ही सरल व चमत्कारिक परिणाम देने वाला प्राकृतिक चिकित्सा का प्रयोग है | जल की पट्टी को खाली पेट या भोजन के 2 घंटो बाद रखा जा सकता है | इस पट्टी के प्रयोग से आंतों की अनावश्यक गर्मी दूर होती है और आंतों में चिपका पुराना मल ढीला होता है | इस प्रकार इस पट्टी के प्रयोग से व भोजन के उचित सेवन से व्यक्ति जीवन भर कब्ज, ऐसिडिटी, पेट की गर्मी व अन्य रोगों से मुक्त रहता है |

जल की पट्टी के लिए आवश्यक सामग्री:  जल की पट्टी के प्रयोग के लिए छोटा नैपकीन या कोई सूती कपड़ा रहता है |

जल की पट्टी की समयावधि: जल की पट्टी को 15-45 मिनिट या उसके भी अधिक समय के लिए रख सकते है| इसे रोग भी रखे को शरीर को कोई नुकसान नही होता है | इसकी समयावधि व्यक्ति के शरीर की प्रकृति व रोग की तीव्रता के अनुसार घटाई व बढाई जा सकती है |

गर्मी में आनंद देने वाला जल की पट्टियों के प्रयोग (Water Therapy in Hindi):  गर्मी में मौसम में भीषण गर्मी में सम्पूर्ण प्रकृति परेशान हो जाती है | गर्मी के मौसम में सम्पूर्ण शरीर आँखों में जलन होती है | ऐसी अवस्था में कोई दवा भी राहत नही देती है |  ऐसी अवस्था में शरीर के विभिन्न अंगो पर ठंडे पानी की पट्टी चमत्कारिक लाभ देती है | पट्टियों का प्रयोग शरीर को भीषण गर्मी से राहत देता है | आवश्यकता है केवल एक कदम बढ़ाने की ताकि आप इसका प्रयोग कर गर्मी की परेशान कर देने वाले मौसम में आनंद दायी शीतलता का आनंद प्राप्त करे |

ठंडी आँखों की पट्टी (Water Therapy in Hindi):  ब भी आप गर्मी से परेशान हो आंखो में जलन हो थकान हो, ऐसी अवस्था में ठंडे पानी की पट्टी से चमत्कारिक लाभ प्राप्त कर सकते है | खास तौर पर जो व्यक्ति या बच्चे कंप्यूटर पर बहुत अधिक देर बैठते है , टीवी बहुत अधिक देर देखते है, मोबाईल स्क्रीन पर बहुत व्यस्त रहते है उन्हे उक्त पट्टी चमत्कारिक लाभ देती है |

आवश्यक सामग्री :  1 ठंडा नैपकींन,  1 पतला 6 इंच चौड़ा व 2 फीट का सूती कपड़ा व फ्रिज/मटके का ठंडा पानी |

विधि : नैपकीन को ठंडे पानी में गीला कर ले , नैपकीन में पर्याप्त पानी रहने दे | इस नैपकीन को आंखो पर लगा कर ऊपर से सूती कपड़े से हल्का सा बांध ले व पीठ के बल लेट जाये | इस प्रकार 15-20 मिनिट तक इस अवस्था में रह सकते है | यदि ज्यादा लंबे समय तक इस प्रयोग को करना है तो पट्टी को पुन: ठंडे पानी से गीला कर के लगा सकते है | इस प्रयोग को 15-20 मिनिट से लेकर 1-2 घंटो तक भी कर सकते है |

पेडु  की ठंडी पट्टी (Naturopathy Treatment):  पेडू की ठंडी पट्टी आंतों की गर्मी को शान्त करती है और पेट के मल को ढीला करती है | इस पट्टी के नियमित प्रयोग से व्यक्ति कब्ज व ऐसिडिटी से मुक्त होता है |

आवश्यक सामग्री :   1 ठंडा नैपकींन व फ्रिज/मटके का ठंडा पानी |

विधि :    पीठ के बल लेट जाय व  नैपकीन को फ्रिज/मटके के पानी से पर्याप्त गीला कर ले,  नैपकीन में पर्याप्त पानी रहने दे |  | इस प्रकार 20-30 मिनिट तक इस अवस्था में रह सकते है | यदि ज्यादा लंबे समय तक इस प्रयोग को करना है तो पट्टी को पुन: ठंडे पानी से गीला कर के लगा सकते है | इस प्रयोग को 15-20 मिनिट से लेकर 1-2 घंटो तक भी कर सकते है |

रीढ की ठंडी पट्टी (Naturopathy Treatment):  हमारी रीढ़ संपूर्ण शरीर का आधार है | जब तक हमारी रीढ़ ऊर्जा से भरी रहती है उतना ही हमारा शरीर स्वस्थ्य व निरोगी रहता है | स्वस्थ्य शरीर के लिए रीढ़ का स्वस्थ्य होना बहुत आवश्यक है | अत्यधिक गर्मी, अत्यधिक देर बैठे रहना, अत्यधिक देर तक वाहन चलाना व अन्य शारीरिक गतिविधियों की वजह से रीढ़ थक जाती है जिसका असर होता है की हम थके-थके ऊर्जाहीन हो जाते है | 

किन्तु यदि हम रीढ़ पर ठंडे पानी की पट्टी का प्रयोग करते है तो रीढ़ पुन: ऊर्जावान हो जाती है |    ठंडे पानी के प्रयोग से रीढ़ पुन: ऊर्जावान हो जाती है | इस प्रयोग को करने के बाद शरीर की थकान दूर हो जाती है |

आवश्यक सामग्री : 1 बड़ा टर्किश टावेल व फ्रिज/मटके का ठंडा पानी |

विधि :  सर्वप्रथम प्लास्टिक की चटाई या दरी को जमीन पर बिछा दे, टर्किश टावेल को फ्रिज/मटके के पानी से पर्याप्त गीला कर ले,  टर्किश टावेल में पर्याप्त पानी रहने दे |  अब इस टर्किश टावेल को 6 इंच चौड़ा मौड़ ले व  चटाई/दरी/जमीन पर बिछा दे | टर्किश टावेल को चित्र में दिखाये अनुसार ऐसा बिछाए की रीढ़ का अंतिम सिरा  से टावेल की लंबाई प्रारम्भ हो व गार्डन के वहा उसे रोल कर दे, ताकि गर्दन को पर्याप्त आराम मिले | इस प्रकार 20-30 मिनिट तक इस अवस्था में रह सकते है | यदि ज्यादा लंबे समय तक इस प्रयोग को करना है तो पट्टी को पुन: ठंडे पानी से गीला कर के लगा सकते है | इस प्रयोग को 15-20 मिनिट से लेकर 1-2 घंटो तक भी कर सकते है |

विशेष लाभ :  रीढ़ की पट्टी का विशेष लाभ तब मिलता है जब आप पेडू पर व आंखो पर भी ठंडे पानी की पट्टी का प्रयोग करते है | इसके साथ यदि आप इस पट्टी के दौरान मधुर संगीत भी सुनते है तो आपका शरीर तो आराम पाता ही है साथ ही मस्तिष्क की थकान भी दूर होती है |

इसलिए जब भी रीढ़ की ठंडी पट्टी का प्रयोग करे तो सिर व पेडू पर ठंडी पट्टी का प्रयोग अवश्य करे |

शरीर के विभिन्न अंगो की पट्टिया(Naturopathy Treatment): शरीर के विभिन्न अंगों पर पट्टी की जाती है वह पट्टी उस अंग की पट्टी कहलाती है | साफा लपेट, गले की लपेट, छाती की लपेट,पेडू की लपेट, टी लपेट, हाथो की लपेट, पैरों की लपेट, चादर लपेट  व अन्य लपेट इस श्रेणी में आते है |

सभी प्रकार की लपेट ढँकी हुई पट्टी के रुप में होती है | केवल साफा लपेट व भीगी गीली पट्टी पर कभी भी गरम या फलालेन  के कपड़े से कभी भी नही ढकते है |

जब भीगी लपेट का सम्पूर्ण शरीर पर प्रयोग किया जाता है तो उसे चादर लपेट कहते है | सम्पूर्ण शरीर को चादर से लपेटने के बाद ऊपर से कंबल लपेटते है | इसका भी सिध्दांत गीली लपेट के समान ही होता है |

आखिर लपेट का क्या विज्ञान है?(Naturopathic Medicine) :   यहा हम साफा लपेट को छोडकर गले की लपेट, छाती की लपेट,पेडू की लपेट, टी लपेट, हाथो की लपेट, पैरों की लपेट की चर्चा करेगे की कैसे लपेट वैज्ञानिक रूप से कैसे कार्य करती है ?

जब हम ठंडे पानी की लपेट लगते है और ऊपर से गरम कपड़े की पट्टी लगाते है तो सर्वप्रथम ठंडी पट्टी शरीर की गर्मी से गरम होती है | इस प्रकार सूती पट्टी से भाप निकलती है और इस भाप को गरम कपड़ा शरीर के संबन्धित अंग से बाहर नही जाने देता है और गर्मी उस संबधित अंग पर रह जाती है | इस प्रकार इस संबधित अंग में विषाक्तता दूर होती है और संबधित अंग में रक्त का संचार तेज होने से वह अंग अपनी पूर्ण कार्य क्षमता से कार्य करता है व संबधित अंग का रक्त संचार व्यवस्थित होता है | इस प्रयोग से शरीर में सफेद रक्त कणिकाओ में वृध्दि होती है | लपेट के प्रयोग से जिस अंग पर हम इसका प्रयोग कराते है वहां के दूषित पदार्थ दूर होते है और व्यक्ति वह अंग गंदगी से मुक्त होकर स्वस्थ्य व निरोगी करता है | जब भी कोई अंग गंदगी से परिपूर्ण होता है तो उस अंग की गंदगी को निकालने का कार्य लपेट करती है | यदि किसी को कोई चर्म रोग है किसी को संबन्धित अंग पर सूजन है तो तो लपेट चमत्कारिक परिणाम देती है |

जब छाती की लपेट को जांघ के जोड़ो तक ले जाते है  तो इसे मध्य शरीर की लपेट कहते है | जिन व्यक्तियों को चादर लपेट नही कर सकते उन्हे मध्य शरीर की लपेट किया जाना लाभ प्रद होता है |

मस्तिष्क को शांत व शीतलता प्रदान करे : साफा लपेट(Naturopathic Medicine):  

 

Safa Lapet
Safa Lapet

साफा लपेट : साफा लपेट एक बहुत ही अनमोल प्रयोग है जो की मस्तिष्क को चमत्कारिक लाभ देता है | इस लपेट के माध्यम से मस्तिष्क को पर्याप्त शीतलता प्राप्त होती है और मस्तिष्क की अनावश्यक गर्मी दूर होती है व मस्तिष्क को शीतलता प्राप्त होती है |

स्वस्थ्य व्यक्ति की पहचान सिर ठंडा, पेट नर्म व पैर गरम होना चाहिए | सिर को ठंडा रखने में साफा लपटे से श्रेष्ठ कोई उपाय नही है |

साफा लपेट के लिए आवश्यक सामग्री: 2 नग 6  इंच चौड़ी व 1.5 मीटर लंबी सूती पतले कपड़े की पट्टीया |सूती पतले कपड़े की पटटियो का कपड़ा पतला होना चाहिए | इस पट्टी के प्रयोग के लिए लठे का पतला कपड़ा या पुरानी पतली सूती चादर का कपड़ा, रज़ाई की खोल का पुराना कपड़ा या अन्य कोई सूती पतला कपड़ा भी हो सकता है |

साफा लपेट की विधि :  साफा लपेट के लिए सर्वप्रथम सूती पट्टियों को रोल बनाकर ठंडे पानी में 10-15 मिनिट के लिए गला दे | पानी में रखने के 10-15 मिनिट बाद पट्टियों को थोड़ा सा  निचोड़ ले ताकि पट्टियों में पर्याप्त पानी की मात्रा व नमी रहे | ध्यान रखे की पट्टियों से पानी टपकाना नही चाहिए |

साफा लपेट कैसे करेगे ?:   जिस व्यकित को साफा लपेट करना है उसके सम्पूर्ण सिर व चेहरे पर नियमित रूप से पट्टी को लपेटना है | लपेट इस प्रकार से होनी चाहिए ताकि नाक का आगे वाला भाग खुला रहे | पट्टी सामान्य रूप से लपेटना है | पट्टी न तो अधिक टाईट होनी चाहिए और ना ही ढीली होनी चाहिए | पट्टी सहज व आसानी से लपेटी होनी चाहिए |

पट्टी की 4-5 लपेट सिर के प्रत्येक भाग पर लपेटी होनी चाहिए | पट्टी के गरम होते ही उसे ठंडे पानी से गीला कर दे | ध्यान रखे की पट्टी हमेंशा गीली रहनी चाहिए ताकि मस्तिष्क को पर्याप्त ठंडक प्राप्त होती रहे |

साफा लपेट की विधि :  साफा लपेट के लिए सर्वप्रथम सूती पट्टियों को रोल बनाकर ठंडे पानी में 10-15 मिनिट के लिए गला दे | पानी में रखने के 10-15 मिनिट बाद पट्टियों को थोड़ा सा  निचोड़ ले ताकि पट्टियों में पर्याप्त पानी की मात्रा व नमी रहे | ध्यान रखे की पट्टियों से पानी टपकाना नही चाहिए |

साफा लपेट की समयावधि: साफा लपेट को 45 मिनिट से लेकर 1 घंटे या उसके अधिक अवधि के लिए भी रख सकते है गले की लपेट: गले की लपेट प्राकृतिक चिकित्सा का एक अनमोल प्रयोग है |  गले की लपेट थायराईड ग्रंथि के रोग, गले का दर्द, गले में संक्रमण, गले की सूजन,स्पान्डोलाईटिस व अन्य गले संबन्धित विकारो में चमत्कारिक लाभ देती है|

गले के रोग व थायराईड से मुक्ति प्रदान करे: गले की लपेट

Gale Ki Lapet
Gale Ki Lapet

 

गले की लपेट के लिए आवश्यक सामग्री:  1 नग 6  इंच चौड़ी व 1.5 मीटर लंबी सूती पतले कपड़े की पट्टी| सूती पतले कपड़े की पटटियो का कपड़ा पतला होना चाहिए | 1 नाग 8 इंच चौड़ी व 1.5 से 1 मीटर लंबी गरम कपड़े की पट्टी/फलालेन का कपड़ा |

 

गले की लपेट कैसे करेगे?(Naturopathy Treatment):  गले की लपेट के लिए सर्वप्रथम सूती कपड़ी की पट्टी का रोल बना ले व इसे 10-15 मिनिट पानी में गला दे | पानी में गला देने के पश्चात इस पट्टी को अच्छी तरह से निचोड़ ले, पट्टी में पर्याप्त नमी रहनी चाहिए  | पट्टी को निचोड़ने के पश्चात, इस पट्टी को गले पर अच्छी तरह से लपेट दे | ध्यान रखे की लपेट अत्यधिक टाईट न हो | इस सूती पट्टी को लपेटने के पश्चात ऊपर से गरम कपड़ा अच्छी तरह से लपेट ले | गरम कपड़ा इस प्रकार से लपेटे की ठंडी सूती पट्टी पूर्ण रूप से ढँक जाये |

गले की लपेट की समयावधि:  साफा लपेट को 1 घंटे से लेकर 1.30 घंटे के लिए भी रख सकते है | यदि रोगी को इस समयवधि के पूर्व अच्छा नही लगे तो पट्टी को समय के पूर्व भी खोला जा सकता है |

विशेष सावधानी : गले की लपेट को करते समय यदि रोगी को अत्यधिक ठंडक लगती है तो रोगी के गले को गर्म पानी की थैली या नैपकींन से गरम कर ले | रोगी के गले को गरम करने के लिए सरसो के तेल की मालिश भी की जा सकती है |

छाती की लपेट: कफ व कफ जनित रोग में चमत्कारिक परिणाम(Naturopathy Treatment):  

Chati Ki Lapet
Chest Pack

छाती की लपेट : छाती की लपेट कफ रोग से मुक्ति देने वाला एक अनमोल प्रयोग है | कफ रोग होने पर इससे सरल व आसान कोई प्रयोग नही है जो आपको कफ संबधित रोगो से आसानी से मुक्त दे दे |

 छाती की  लपेट के लिए आवश्यक सामग्री: 1 नग 6  इंच चौड़ी व 1.5 मीटर लंबी सूती पतले कपड़े की पट्टी | सूती पतले कपड़े की पटटियो का कपड़ा पतला होना चाहिए | 1 नाग 8 इंच चौड़ी व 1.5 से 1 मीटर लंबी गरम कपड़े की पट्टी/फलालेन का कपड़ा |

छाती की लपेट कैसे करेगे?(Naturopathy Treatment): छाती  की लपेट के लिए सर्वप्रथ सूती कपड़ी की पट्टी का रोल बना ले व इसे 10-15 मिनिट पानी में गला दे | पानी में गला देने के पश्चात इस पट्टी को अच्छी तरह से निचोड़ ले, पट्टी में पर्याप्त नमी रहनी चाहिए  |

गले से लेकर नाभि के ऊपर वाले भाग तक के सम्पूर्ण शरीर को बिना बाहो के बनियान के समान लपेटना है |पहले भीगे कपड़े को छाती पर  बाई और रखकर गले के पास से पीठ की और ढकते हुए  दाहिने हाथ केनीचे से लेकर छाती पर लाना चाहिए , फिर इस कपड़े को बाए हाथ  के नीच, पीठ, दाहिने  गार्डन टहता दाहिनी छाती के ऊपर से नाभि तक लाकर समाप्त करना जरूरी है | इस लपेट के ऊपर गरम कपड़ा लपेटते है |

पट्टी को निचोड़ने के पश्चात, इस पट्टी को छाती पर चित्र में दिखाये अनुसार  अच्छी तरह से लपेट दे | ध्यान रखे की लपेट अत्यधिक टाईट न हो | इस सूती पट्टी को लपेटने के पश्चात ऊपर से गरम कपड़ा अच्छी तरह से लपेट ले | गरम कपड़ा इस प्रकार से लपेटे की ठंडी सूती पट्टी पूर्ण रूप से ढँक जाये |  यदि ऐसी अवस्था में रोगी को अत्यधिक ठंडक का अहसास हो तो गरम पानी की थैली से छाती की धीमें-धीमें हल्का सेक कर ले | ध्यान रखे अत्यधिक गरम प्रयोग सीने पर अधिक समय के लिए कदापि न करे | गरम प्रयोग अत्यधिक कम व सीमित समय के लिए ही किया जाना चाहिए | गरम प्रयोग का उदेश्य केवल कुछ समय अर्थात  10-20 सेकंड के लिए छाती को गर्माहट प्रदान करना है |

छाती की लपेट की समयावधि: छाती की लपेट को 1.30 घंटे के लिए रख सकते है | यदि रोगी को इस समयवधि के पूर्व अच्छा महसूस नही करे तो तो पट्टी को निश्चित समय के पूर्व भी खोला जा सकता है |

 

पाचन संबन्धित  रोगों की चमत्कारिक निदान : पेडू की लपेट

Abdoman Pack
Pedu Ki Lapet

पेडू की लपेट (Naturopathy Treatment):  पेडू की लपेट प्राकृतिक चिकित्सा की बहुत ही अनमोल प्रयोग है | समस्त रोगो की जननी कब्ज ही है| हमारे व्दारा नियमित रूप से  शोच करने के बाद भी आंतों में पुराना मल पड़ा रहता है | उक्त सड़ा हुआ मल ही आंतों को नियमित रूप से दूषित करता है | दूषित मल के निरंतर सड़ने की वजह से व्यक्ति का रक्त नियमित दूषित होता और व्यक्ति अनेक रोगो का शिकार हो जाता है | पेट रोग में चमत्कारिक व त्वरित लाभ देने वाला प्रयोग है पेडू की लपेट|

पेडु लपेट के लिए आवश्यक सामग्री:1 नग 6  इंच चौड़ी व 1.5 मीटर लंबी सूती पतले कपड़े की पट्टी| सूती पतले कपड़े की पटटियो का कपड़ा पतला होना चाहिए | 1 नाग 8 इंच चौड़ी व 1.5 से 1 मीटर लंबी गरम कपड़े की पट्टी/फलालेन का कपड़ा |

पेडु की लपेट कैसे करेगे?: पेडु की लपेट के लिए सर्वप्रथम सूती कपड़ी की पट्टी का रोल बना ले व इसे 10-15 मिनिट पानी में गला दे | पानी में गला देने के पश्चात इस पट्टी को अच्छी तरह से निचोड़ ले, पट्टी में पर्याप्त नमी रहनी चाहिए  | यदि व्यक्ति को बुखार हो तो पट्टी में थोड़ा पानी रहने देना चाहिए | पानी इतना भी अधिक नही होना चाहिए की गरम कपड़ा गीला हो जाये |

उक्त प्रयोग करते समय हमें ध्यान रखना चाहिए की रोगी की त्वचा में पर्याप्त गर्माहट हो | यदि रोगी के शरीर में अत्यधिक ठंडक लगती हो व शरीर ठंडा हो तो  ऐसी अवस्था में गरम पानी की थैली या नैपकींन से छाती को 5-7 मिनिट गरम कर लेना चाहिए |

सभी प्रकार की पट्टियों के लिए उक्त नियम लागू होता है |  पट्टी की सतह एक से 6 लपेट लपेटना चाहिए | गरम कपड़े को ऐसा लपेटना चाहिए की भीतर की गर्मी बाहर न जा सके |

शीत ऋतु में छाती की लपेट होने के पश्चात सम्पूर्ण शरीर को गरम कपड़े या कंबल से लपेट ले | गर्मी के मौसम में सूती चादर से शरीर को ढँक सकते है | लपेट खोलने के बाद शरीर को भीगे टावेल से रगड़ रगड़ के पोछ कर गरम कर लेना चाहिए | इस लपेट के लिए 1.30 घंटे का समय पर्याप्त है | इस अवधि को रोगी की प्रकृति के अनुसार घटा या बढ़ा सकते है | यदि रोगी का जी घबराए तो समय से पूर्व उक्त प्रयोग को समाप्त कर सकते है |

घुटने की सूजन को कम करे :घुटने की लपेट (Naturopathy Treatment): घुटने की लपेट घुटने की सूजन दूर करने में चमत्कारिक लाभ देती है | जब भी शरीर में विषाक्त पदार्थ एकत्र हो जाते है तो इस वजह से शरीर के किसी भी अंग में सूजन या दर्द हो जाता है | जब घुटने सूजे हुए लगे और उनमें दर्द हो तो घुटने की लपेट चमत्कारिक रूप से लाभ देती है और घुटने की सूजन भी उतर जाती है |

घुटने की लपेट के लिए आवश्यक सामग्री:  1 नग 6  इंच चौड़ी व 1.5 मीटर लंबी सूती पतले कपड़े की पट्टी| सूती पतले कपड़े की पटटियो का कपड़ा पतला होना चाहिए | 1 नाग 8 इंच चौड़ी व 1.5 से 1 मीटर लंबी गरम कपड़े की पट्टी/फलालेन का कपड़ा |

घुटने की लपेट कैसे करेगे?:  घुटने  की लपेट के लिए सर्वप्रथम सूती कपड़ी की पट्टी का रोल बना ले व इसे 10-15 मिनिट पानी में गला दे | पानी में गला देने के पश्चात इस पट्टी को अच्छी तरह से निचोड़ ले, पट्टी में पर्याप्त नमी रहनी चाहिए  | पट्टी को निचोड़ने के पश्चात, इस पट्टी को घुटने पर चित्र में दिखाये अनुसार  अच्छी तरह से लपेट दे | ध्यान रखे की लपेट अत्यधिक टाईट न हो | इस सूती पट्टी को लपेटने के पश्चात ऊपर से गरम कपड़ा अच्छी तरह से लपेट ले | गरम कपड़ा इस प्रकार से लपेटे की ठंडी सूती पट्टी पूर्ण रूप से ढँक जाये | 

घुटने की लपेट की समयावधि: घुटने की लपेट को 1 घंटे से लेकर 1.30 घंटे के लिए भी रख सकते है | यदि रोगी को इस समयवधि के पूर्व अच्छा नही लगे तो पट्टी को समय के पूर्व भी खोला जा सकता है | इस लपेट को शरीर के किसी भी जोड़ या अंग पर किया जा सकता है |

 

रात को चलाने वाली खांसी से मुक्ति दिलाये:पैरों की लपेट(Naturopathy Treatment):  

पैरों की लपेट:  पैरों की लपेट प्राकृतिक चिकित्सा का चमत्कार देने वाला प्रयोग है | पैरों की लपेट के प्रयोग से गले व फैफड़े संबधित रोगो में चमत्कारिक लाभ प्राप्त होता है  जब रात को खांसी परेशान करे नींद न आए, जब सिर दर्द हो, लगातार विचार चले नींद न आए ऐसी अवस्था में पैरों की लपेट चमत्कारिक लाभ देती है |

pairo Ki Lapet
Pair Ki Lapet

पैरों की लपेट के लिए आवश्यक सामग्री:  २ नग 6  इंच चौड़ी व 1.5 मीटर लंबी सूती पतले कपड़े की पट्टी| सूती पतले कपड़े की पटटियो का कपड़ा पतला होना चाहिए | २ नाग 8 इंच चौड़ी व 1.5 से 1 मीटर लंबी गरम कपड़े की पट्टी/फलालेन का कपड़ा |

पैरों की लपेट कैसे करेगे?:  पैरों  की लपेट के लिए सर्वप्रथम सूती कपड़ी की पट्टी का रोल बना ले व इसे 10-15 मिनिट पानी में गला दे | पानी में गला देने के पश्चात इस पट्टी को अच्छी तरह से निचोड़ ले, पट्टी में पर्याप्त नमी रहनी चाहिए  | पट्टी को निचोड़ने के पश्चात, इस पट्टी को पिंडली से लेकर घुटने तक अच्छी तरह से चित्र में दिखाये अनुसार अच्छी तरह से लपेट दे | ध्यान रखे की लपेट अत्यधिक टाईट न हो | इस सूती पट्टी को लपेटने के पश्चात ऊपर से गरम कपड़ा अच्छी तरह से लपेट ले | गरम कपड़ा इस प्रकार से लपेटे की ठंडी सूती पट्टी पूर्ण रूप से ढँक जाये |  यदि ऐसी अवस्था में रोगी को अत्यधिक ठंडक का अहसास हो तो गरम पानी की थैली से गरम कपड़े के ऊपर धीमें-धीमें हल्का सेक कर ले |   गरम प्रयोग पर्याप्त समय के लिए ही किया जाना चाहिए |  

पैरों की लपेट की समयावधि: छाती की लपेट को 1 घंटे से लेकर 1.30 घंटे के लिए भी रख सकते है | यदि रोगी को इस समयवधि के पूर्व अच्छा नही लगे तो पट्टी को समय के पूर्व भी खोला जा सकता है |

पैरों की लपेट का वैज्ञानिक प्रभाव : जब हम किसी रोगी को पैरों की लपेट करते है तो रक्त का संचालन पैरो की और होने लगता है | क्योकि जब व्यक्ति को खांसी चलती है, ह्रदय की धड़कन तेज हो जाती है या अत्यधिक रक्त संचार की वजह से कोई तकलीफ हो जाती है तो रक्त का प्रवाह पैरो की और होने लगता है और व्यक्ति को तुरंत आराम मिल जाता है |

जब भी बुजुर्गो को खांसी रात में परेशान करे तो उक्त पैरो की लपेट से चमत्कारिक लाभ होता है |  इसी प्रकार जब सिरदर्द होता है तो भी इस लपेट से आराम मिलता है | जब महिलाओ को मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्त स्त्राव होता है तो ऐसी परिस्थिति में पैरों की लपेट से आराम मिलता है| 

पैरों में वेरिकोज वेन की समस्या में भी इस पट्टी के प्रयोग से पर्याप्त आराम मिलता है | इसी के साथ चर्म रोग होने पर इस पट्टी के प्रयोग से चमत्कारिक लाभ मिलता है |

लेटे-लेटे वजन कम करे :चादर लपेट(Naturopathy Treatment):  

 

Chader Lapet
Water Therapy in Hindi

चादर लपेट प्राकृतिक चिकित्सा का एक बहुत ही चमत्कारिक प्रयोग है । इस प्रयोग के माध्यम से हम चमत्कारिक रुप से लाभ ले सकते है । चादर लपेट वाष्प स्नान का वैकल्पिक प्रयोग है । चादर लपेट के माध्यम से हम पट्टियों के व्दारा लाभ प्राप्त करते है वही लाभ चादर लपेट से प्राप्त होता है ।

चादर लपेट हमारी त्वचा के रोम छिद्रों को खोल देती है । त्वचा के अपनी पूर्ण कार्यक्षमता से कार्य नही कर पाने की वजह से शरीर गंदगी का भंडार बन जाता है । उक्त स्थिति लम्बें समय बने रहने के कारण व्यक्ति अनेक रोगों का शिकार हो जाता है । इसलिये त्वचा को शरीर का महत्वपूर्ण सफाकर्मी अंग भी कहते है ।

त्वचा का क्षेत्रफल करीब 19 वर्ग मीटर होता है । त्वचा के प्रत्येक वर्ग इंच में 2800 रोम छिद्र होते है । सम्पूर्ण शरीर में करीब 70 लाख रोम छिद्र होते है  । इन छिद्रो के साथ छोटी नाली के आकार की  ग्रंथियाँ होती है । यदि इन ग्रंथियों को एक-एक कर के फैलाया जाय तो इनका क्षेत्रफल करीब 10 मील के बराबर हो जायेगा । इन छिद्रों से शरीर आक्सीजन को अंदर खीचता है ।

इस प्रकार हम देखते है त्वचा भी श्वास लेती है ।  इसलिये त्वचा को तीसरा फैफडा भी कहा जाता है ।  त्वचा के माध्यम से 650 मिलि पसीना शरीर से निकलता है । त्वचा के माध्यम से दूषित पदार्थ व यूरिक ऐसिड व यूरिया भी शरीर से निकलते है ।  कई बार त्वचा के माध्यम से शरीर की दूषित गैस भी शरीर के बाहर निकलती है ।

 

गर्मी से खाद्य सामग्री सड़ती है : जैसा की हम देखते है की खाद्य सामग्री गर्मी के मौसम में जल्दी खराब हो जाती है वही खाद्य सामग्री ठंड के मौसम में जल्दी खराब नही होती है | इसी प्रकार हम देखते है की अत्यधिक गर्मी की वजह से हमारे शरीर की कार्यक्षमता घट जाती है | वही ठंड में शरीर की कार्यक्षमता बढ़ जाती है | उक्त बातों से हम समझ सकते है की शरीर का तापमान संतुलित होने से उसकी कार्यक्षमता बढ़ जाती है |

त्वचा निरंतर गंदगी शरीर से बाहर करती है :  इसी प्रकार गंदगी व प्रदूषण की वजह से शरीर के रोम छिद्र बंद हो जाते है | रोम छिद्र के बंद होने से शरीर से पसीने के माध्यम से गंदगी दूर नही होती है | हमारे शरीर से सामान्य अवस्था में करीब 650 मिली पसीना बाहर निकलता चाहिए | किन्तु श्रम के अभाव में पर्याप्त पसीना शरीर के बाहर नही निकाल पाता है और व्यक्ति अनेक रोगो का शिकार हो जाता है | त्वचा हमारे शरीर का अत्यधिक महत्वपूर्ण सफाई कर्मी अंग है |

त्वचा हमारे स्वास्थ्य का निर्धारण करती है :  स्वस्थ्य शरीर के लिए त्वचा का कार्यक्षम होना बहुत आवश्यक है | कई व्यक्ति त्वचा को कार्यक्षम बनाने के लिए स्टीम बाथ का सहारा लेते है, तो प्राकृतिक चिकित्सक त्वचा को सक्षम बनाने के लिए घर्षण स्नान का प्रयोग करते है | इस प्रकार हम देख सकते है की त्वचा की सेहत हमारे शरीर के लिए कितनी आवश्यक है | ऐसे भी त्वचा को शरीर के स्वास्थ्य का आईना कहते है | जितनी त्वचा में आपके ओज व चमक है उतने ही आप स्वस्थ्य है, जितनी त्वचा निस्तेज, रूखी होगी वह शरीर के आंतरिक अंगों के स्वास्थ्य को प्रदर्शित करती है | इस प्रकार हम देखते है की त्वचा से ही हमारे स्वास्थ्य का निर्धारण होता है |

चादर लपेट के लिए आवश्यक सामग्री :  1 डबल बैड का पतला चादर, 1 बड़ा कंबल /2 छोटे कंबल व 1 नैपकींन  |

चादर लपेट की विधि (Naturopathy Treatment): चादर लपेट के लिए  चादर को 10 मिनिट के लिए पानी में गला दे | चादर के पानी में अच्छे से गीला होने के बाद चादर को अच्छे से निचोड़ ले | यदि आप चादर को अच्छे से नही निछोड पाये तो अपने साथी  की मदद से निचोड ले | सर्वप्रथम कंबल खोलकर कर जमीन पर बिछा दे | इस कंबल पर पानी में गीली की हुई चादर को अच्छे से बिछा ले |  अब नैपकीन को गीला  कर के रख ले |

जिस व्यक्ति को चादर लपेट करवाना है उसे अत्यावश्यक अंत वस्त्र में गीली चादर पर लिटा दे | व्यक्ति  चादर पर पीठ के बल लेटेगे और उनाके हाथ व पैर पास-पास रहेगे | अब चादर से उसके शरीर को गले के नीचे वाले भाग को अच्छे से लपेट दे | शरीर की लपेट ज्यादा टाईट नही होना चाहिए | अब इस चादर लपेट के बाद व्यक्ति के शरीर को कंबल से पूर्ण रूप से लपेट दे |

शरीर को कंबल से ऐसा लपेटना है की सूती चादर व शरीर पूर्ण रूप से कंबल से ढँक जाये | इस प्रकार शरीर ऐसा ढँक जाएगा की उसके अंदर हवा न जा सके | लपेट पूर्ण करने के बाद लपेट अच्छे से हो गई है ऐसा  सुनिश्चित कर ले |  लपेट अच्छे से हो जाने के बाद  गीला किया हुआ नैपकींन व्यक्ति के सिर पर फैला कर रखे दे ताकि व्यक्ति की आँख, कपाल पूर्ण रूप से ढँक जाये |

 विशेष सावधानी :  चादर लपेट करते समय दोनों हाथों व पैरों को शरीर के पास –पास रखते हुए इनके बीच के स्थान को  खाली स्थान को कपडे से भर देना चाहिए । यदि रोगी के पैर अत्यधिक ठंडे है तो उसके पैरों को बाहर रखा जा सकता है । गीले तौलिये से सिर को सदैव ठंडा रखे ।

यदि  चादर लपेट करते समय मौसम अत्यधिक ठंडा है और रोगी की प्रकृति भी ठंडी है तो गर्म पानी की थैली या कांच की बाटल से सुरक्षित रुप से शरीर को गर्म किया जा सकता है । इस उदेश्य की प्राप्ति  के लिये गर्म पानी की थैली को पैरों की और रखर्ते है । गर्म पानी से भरी हुई कांच की बाटल को पैरों के यहाँ रखने के  पूर्व बाटल को कपडे से लपेट कर रखे ताकि पैरों के जलने का भय न रहे ।

यदि रोगी को बार-बार पेशाब आने की समस्या हो तो ऐसी स्थिति में रोगी को पानी का सेवन न कराये । अत्यधिक प्यास होने की स्थिति में एक-दो घुंट पानी दिया जा सकता है ।

अवधि:  इस क्रिया की अवधि 1.30 घंटे होती है | किन्तु वातावरण की गर्मी व ठंडक के अनुसार इस प्रयोग की अवधि बढ़ाई व घटाई जा सकती है | इस क्रिया की पूर्ण अवधि कैसे होती है इसे आप व्यक्ति के अहसास होने पर से जान सकते है |  चादर लपेट की अवधि  को जानने के लिए  इस क्रिया की प्रक्रिया को समझना होगा की इस क्रिया को करने से शरीर पर क्या परिवर्तन होते है |

चादर लपेट का शरीर पर प्रभाव :  जब चादर लपेट की जाती है तो सर्वप्रथम चादर शरीर की गर्मी से सुखती है | जब चादर सूखती है तो उसमें से भाप निकलती है | यह भाप चादर के कंबल में लपेटे होने की वजह से बाहर नही निकल पाती है और वही रहकर शरीर के अंदर से गंदगी व दूषित पदार्थ को बाहर निकालती है |  किन्तु यदि व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त गर्मी है तो चादर लपेट की प्रक्रिया जल्दी सम्पन्न हो जाएगी, किन्तु यदि व्यक्ति के शरीर में ठंडक रहती है तो ऐसी अवस्था में चादर लपेट की प्रक्रिया देरी से सम्पन्न होती है | 

यदि व्यक्ति को पसीना जल्दी न आए तो क्या करे?:  जब व्यक्ति को जल्दी पसीना न आये तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को हल्का वार्म अप कसरत करवाकर शरीर को गरम कर सकते है | इसके साथ ही ऐसी व्यक्ति को गरम पानी पीने को दे सकते है | ऐसे व्यक्ति यदि धीरे धीरे 1-2 ग्लास गरम पानी का सेवन कर लेते है तो भी व्यक्ति को पसीना जल्दी आ जाता है |

जिन व्यक्तियों को पसीना जल्दी नही आता है, ऐसी स्थिति में ऐसे व्यक्ति के शरीर के पास सुरक्षित रूप से गर्म पानी की काँच की बाटल या गर्म पानी की थैली पैरों के आसपास रखी जा सकती है, जिससे व्यक्ति के शरीर में पर्याप्त गर्मी आ जाये व चादर लपेट की प्रक्रिया सम्पन्न हो सके |

बुखार की अवस्था में चादर लपेट (Naturopathy Treatment): जब किसी व्यक्ति के बुखार को दूर करनेके लिए चादर लपेट का प्रयोग किया जाता है तब ऐसी अवस्था में चादर को पर्याप्त गीला रखा जाता है, पानी भी पर्याप्त ठंडा रहता है |  ऐसी अवस्था में चादर के लपेटने के पश्चात कंबल लपेटते है और शरीर को  कंबल के ऊपर से धीरे धीरे रगड़ते है |  ऐसा शरीर के  बुखार के पर्याप्त कम होने तक 4-5 बार करना चाहिए | जब भी रोगी के शरीर का तापमान बढ़ा हो इस प्रयोग को करने से चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते है |

चादर लपेट  की समाप्ति पर क्या करे?: इस प्रयोग की समाप्ति के बाद शरीर को गीले नैपकीन से रगड-रगड कर साफ करे । यदि रोगी कमजोर है तो उसे बिस्तर पर लेटाकर गर्म कम्बल से गले तक ढंक दे ।

आवश्यक सावधानी:जब भी कोई पट्टी/लपेट  का प्रयोग करे तो इन पट्टियों को प्रयोग में लाने के पूर्व अच्छी तरह से धोकर व तेज धूप में सुखाकर ही प्रयोग में लाना चाहिए | क्योकि उक्त प्रयोगो के दौरान इन पट्टियों में शरीर में जमा विजातीय द्रव्य की कुछ मात्रा आ जाती है | यदि इन पट्टियों की अच्छे से सफाई नही होगी तो शरीर की त्वचा पर संक्रमण या चर्म रोग होने की संभावना हो जाएगी और पट्टी/लपेट  के प्रयोग से होने वाले लाभ के स्थान पर हानि की संभावना हो जाएगी | सही विधि से पट्टियों को स्वच्छ कर के पुन: प्रयोग में लाया जा सकता है | 

 पट्टी का उदेश्य शरीर में ताप का संचार करना है |  शरीर में ताप का संचार होगा तब ही रोगी को यथेष्ट लाभ प्राप्त होगा |

अत्यधिक कमजोर रोगी के लिये क्या सावधानी रखे?(Naturopathy Treatment): यदि रोगी अत्यन्त कमजोर है, अत्यधिक ठंडी प्रकृति का है तो ऐसी स्थिति में क्रिया को प्रारम्भ करने के पूर्व रीढ को अच्छे से गर्म पानी की थैली से सेक ले ।

यदि किसी अंग विशेष में सूजन हो तो उस अंग विशेष पर एक अतिरिक्त ठंडी की 4-5 आवृत्ति लपेट ले ।

पीलिया रोग में होने वाली खुजली में चादर लपेट से चमत्कारिक लाभ प्राप्त होता है । पुराने मलेरिया में भी लाभ होता है । मोटापा में भी प्राकृतिक चिकित्सा के अनमोल प्रयोग चादर लपेट से लाभ प्राप्त होता है । यदि इस प्रयोग को करने के पूर्व ऐनिमा ले लिया जाय तो शुध्दिकरण के अतिरिक्त लाभ मिल जाते है ।

गरम कपड़े को हर प्रयोग के बाद धोने की आवश्यकता नही है | गरम कपड़े व कंबल को 4-5 बार प्रयोग में आने के बाद धोया जा सकता है |

प्राकृतिक चिकित्सक (Naturopathic Doctor): आजकल प्राकृतिक चिकित्सा के अनेक महाविधालय खुल गए है | जहां पर 5 वर्ष तक विधिवत पढ़ाई करवायी जाती है | प्राकृतिक चिकित्सा के इस पाठ्यक्रम को भारत सरकार की भी मान्यता है | उक्त महाविधालय देश के विभिन्न भागो में है |

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