सूर्य भेदी प्राणायाम के चमत्कारिक लाभ Suryabhedi Pranayam in Hindi

Surbhedi pranayam

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सूर्य भेदी प्राणायाम के चमत्कारिक लाभ Suryabhedi Pranayam in Hindi

Suryabhedi Pranayam in Hindi
Suryabhedi Pranayam in Hindi

Surya Bhedi Pranayam by Dr.Jagdsish Joshi , Lifestyle expert 125

सूर्य भेदी प्राणायाम क्या है? What is Surya Bhedi Pranayam:

Surya bhedi pranayam in Hindi -जब हम श्वास लेते है तो दाये स्वर और बाये स्वर से श्वास लेते है | जब हम दायी नासिका से श्वास लेते है तो हमारा दाया स्वर अर्थात सूर्य स्वर चलता है | सूर्य स्वर गर्म प्रकृति का होता है | यदि यही स्वर नियमित रूप से चलता रहे तो हमारे शरीर मे सूर्य स्वर से शरीर मे गर्मी का अहसास होता है |

जिन व्यक्तियों को अत्यधिक ठंडक लगती है वे पर्याप्त समय सूर्य स्वर को चलाकर शरीर मे पर्याप्त गर्मी पैदा कर सकते है |

सूर्य भेदी प्राणायाम कैसे लाभ देता है ?(Suryabhedi Pranayam in Hindi):

सूर्य भेदी प्राणायाम में श्वास लेने की सभी प्रक्रियाओं में प्राण ऊर्जा पिंगला या सूर्य नाड़ी (गर्म स्वर) के माध्यम से ली जाती है। इडा या चंद्रनाड़ी (ठंडा स्वर) के माध्यम से श्वास छोड़ी जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान श्वास नियंत्रित होता है और फेफड़े अधिक ऊर्जा व गर्मी प्राप्त करते है |

सूर्य भेदी प्राणायाम को करने की विधि (Suryabhedi Pranayam in Hindi):

सबसे पहले आप पद्मासन, सुखासन या किसी सुविधाजनक आसन की स्थिती में बैठ जाय | अपनी आंखो को बंद रखे, अनामिका और छोटी उंगली से बायीं नासिका को बंद करें। सहजता से बिना कोई आवाज किए दायी नासिका से धीर-धीरे श्वास लें। प्रयास करे आराम से अधिक से अधिक श्वास अपने फेफडों में भरें।

श्वास पूर्ण भरने के बाद दायी नासिका को दायें अंगूठे से बंद कर दे और ठुड्डी को सीने से स्पर्श करा दे (जालंधरबंध) ओर मजबूती से दबाते हुए श्वास को अपनी क्षमता अनुसार रोक कर रखें।

श्वास को अंदर की और रोककर रखना कुंभक (आंतरिक कुंभक) कहलाता है |

श्वास को अपने शरीर की क्षमता के अनुसार रोके (आंतरिक कुंभक) इस अवधि को धीरे धीरे बढ़ाएं।
जब आप श्वास नही रोक पाये तो धीरे धीरे अंगूठे से दायी नासिका को बंद करें और बायीं नासिका से बिना कोई आवाज किए धीरे-धीरे श्वास को छोड़ें।

श्वास लेना ( 1 अनुपात ) , श्वास छोड़ना (2 अनुपात) और कुम्भक (4 अनुपात) का जो अनुपात है वह 1:2:4 होनी चाहिए। यदि आप श्वास लेने मे 5 सेकंड लगाते है श्वास को छोड़ने मे 10 सेकंड व श्वास को 20 सेकंड तक रोकना है |

उक्त अनुपात मे श्वास को लेना है, श्वास को छोड़ना है व श्वास को रोकना है | ध्यान रखे प्रारम्भिक अभ्यासी इस की संख्या को अपने शरीर की क्षमता के अनुसार घटा व बढ़ा भी सकते है |

यह सूर्य भेदी प्राणायाम का एक चक्र है, इस प्रकार आप इसके 5 से 10 चक्र करें।

सूर्य भेदी प्राणायाम लाभ  (Suryabhedi Pranayam in Hindi):

जिन व्यक्तियों की प्रकृति ठंडी होती है, अर्थात जिन्हे अत्यधिक ठंड लगती है, जिन्हे सर्दी-खांसी की समस्या रहती है उनके लिए सूर्य भेदी प्राणायाम वरदान है |

सूर्य भेदी प्राणायाम वायु विकार की वजह से होने वाले गठिया को ठीक करता है।

यदि ठंडक की वजह से आप सिर दर्द से परेशान हैं तो सूर्य भेदी प्राणायाम अभ्यास करना चाहिए।


जो अपनी व्यक्ति अपनी कुंडलिनी शक्ति को जागृत करना चाहते है तो वे भी सूर्य भेदी प्राणायाम का अभ्यास कर सफल हो सकते है |

जो व्यक्ति निम्न रक्तचाप से परेशान है, यदि वे सूर्य भेदी प्राणायाम का अभ्यास करते है तो यह शरीर की संवेदना तंत्रिका प्रणाली को सक्रिय करता है तो निम्न रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति को लाभ मिलता है।

जिन व्यक्तियों को श्वास संबन्धित समस्या रहती है वे सूर्य भेदी प्राणायाम का अभ्यास करते है तो उनकी श्वास सम्बधित समस्या मे आराम मिलता है |

सूर्यभेदी प्राणायाम का नियमित अभ्यास मन को सकारात्मक विचारों से परिपूर्ण कर देता है।

सूर्य भेदी प्राणायाम का अभ्यास चिंता,अवसाद एवं अन्य मानसिक विकारो को दूर करने मे मदद करता है।


सूर्य भेदी प्राणायाम में सावधानियां (Precaution for Surya Bhedi Pranayam):

उच्च रक्तचाप से पीड़ित से व्यक्ति को ये प्राणायाम नहीं करना चाहिए।

यह प्राणायाम उनको नहीं करनी चाहिए जिनको बहुत गुस्सा आता है।

जिन लोगो की प्रकृति पित्त अर्थात अत्यधिक गर्मी की है उन्हे यह प्राणायाम नही करना चाहिए |

प्राणायाम कभी भी बंद कमरे में न करें । जिस स्थान पर शुध्द आक्सीजन का प्रवाह होता है वही प्राणायाम करना चाहिए |

प्राणायाम के लिए साफ व आक्सीजनयुक्त वातावरण होना चाहिए।

जिन लोगों की किसी भी प्रकार की सर्जरी हुई हो उन्हे सूर्य भेदी प्राणायाम नही करना चाहिए | क्योकि ऐसी अवस्था मे शरीर को कुछ नुकसान हो सकता है |यदि आपकी कोई सर्जरी हुई है तो प्राणायाम को करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना चाहिए।

सूर्यभेदी प्राणायाम का अभ्यास सुबह खाली पेट करना चाहिए। यदि आपका पेट अच्छे से साफ नही है तो आपको सूर्य भेदी प्राणायाम नही करना चाहिए | Sheetali Pranayama karne ke fayde

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