Mud Therapy

मिट्टी चिकित्सा

मिट्टी चिकित्सा प्राकृतिक चिकित्सा का बहुत ही अनमोल प्रयोग है । पांच तत्वों में मिट्टी तत्व भी शामिल है । मिट्टी से ही समस्त प्राणीयों का जन्म हुआ है और मृत्यु के  बाद  हम मिट्टी में ही विलिन हो जाते है । मिट्टी हमारा जीवन भर भरण पोषण करती है, हमें आहार प्रदान करती है, हमें वस्त्र प्रदान करती है और जब हम थक जाते है तो हमें बिस्तर प्रदान करती है । इस प्रकार हम मिट्टी को हमारा पालनहार भी कह सकते है ।

 

मिट्टी के विभिन्न प्रकार :

मिट्टी में अनेक  चिकित्सकीय गुण पाये जाते है :

प्राकृतिक चिकित्सा के लिये कौंन सी मिट्टी प्रयोग में लाये : प्राकृतिक चिकित्सा के लिये कोई विशेष मिट्टी की आवश्यकता तो नही होती है । जिस क्षेत्र में हम निवास करते है उस स्थान की मिट्टी सर्वश्रेष्ठ होती है । मिट्टी काली हो, पीली हो, रेतीली हो, जिस भी प्रकार की है  वह उपयोगी है । क्योकि हम जिस क्षेत्र में रहते है वहाँ की मिट्टी ही हमारे लिये लाभप्रद होती है ।

प्राकृतिक चिकित्सा के लिये प्रयोग में लाई जाने वाली मिट्टी गंदगी, प्रदूषण व रासायनिक खाद से मुक्त होनी चाहिए । मिट्टी 3-4 फीट गहरे गड्डे की होनी चाहिए । मिट्टी में कंकड, पत्थर व अन्य प्रदूषण नही होना चाहिए । मिट्टी एक महीन होनी चाहिए ।

 

मिट्टी की ठंडी पट्टी : मिट्टी की ठंडी पट्टी बहुत ही चमत्कारिक प्रयोग है । मिट्टी की ठंडी पट्टी आंतों में जमा पुराने मल को उखाड कर फेक देती है, आंतों की गर्मी को खत्म कर देती है  । आंतों को ठंडक प्राप्त होने से आंतों में कीटाणुओं की वृध्दि रुक जाती है । इस पट्टी के प्रयोग से कमजोर आतों की शक्ति लोट आती है । मिट्टी की पट्टी के प्रयोग से दस्त होना बंद हो जाते है, क्योकि मिट्टी की पट्टी के प्रयोग से मल बंधने लगता है । टायफाईड ज्वर में मिट्टी की ठंडी पट्टी के प्रयोग से चमत्कारिक लाभ प्राप्त होता है । इस प्रकार हम देखते है की मिट्टी के पट्टी अनेक रोगों से मुक्त करने का प्रभावी प्रयोग है । आवश्यकता है इसे कैसे प्रयोग करे ताकि हमारे आसपास आसानी से उपलब्ध मिट्टी का प्रयोग कर जन-जन को स्वास्थ्य प्रदान किया जा सके ।

 

आवश्यक सामग्री: गली हुई मिट्टी, एक 1.5 फीट लम्बा व 1 फीट चौडा सूती कपडा, एक छोटा नैपकीन व एक ट्रे व एक चम्मच ।

 

मिट्टी की पट्टी कैसे बनाये : अपने क्षेत्र में उपलब्ध शुध्द मिट्टी को रात को पानी में गला दे । पानी में रात भर गलने के बाद मिट्टी से पानी को निथार दे । मिट्टी में इतना पानी रखे की मिट्टी की ठंडी पट्टी बनाते समय पानी बाहर ना निकले । जैसे हम आटे का पिंड बनाते है, वैसे ही हमें मिट्टी का पिंड बनाना है, ताकि पट्टी आराम से बनाई जा सके ।

 

अब ट्रे में सूती कपडा बिछा दे । इस कपडे पर चम्मच की सहायता से मिट्टी का ½ इंच मोटी पट्टी बना ले । पट्टी इतनी लम्बी व चौडी होगी जितनी आपके पेडु का आकार है (पेडु अर्थात नाभि के नीचे व प्रजनन अंग का उपरी भाग) ।

 

मिट्टी की पट्टी का प्रयोग: जिस व्यक्ति को मिट्टी की पट्टी रखना है उसे पीठ के बल लेटा दे । अब पट्टी को व्यक्ति के पेडु पर रखे दे । इस पट्टी को गर्म कपडे या प्लास्टिक की थैली  से ढंक दे ।  उक्त पट्टी को 30-45 मिनिट तक के लिये रखना है । मिट्टी की पट्टी को रखने के बाद सिर पर ठंडे पानी से गीला किया हुआ नैपकीन रख दे ।

मिट्टी की पट्टी को और किस प्रकार से उपयोग में ला सकते है? : मिट्टी की उक्त बनी हुई पट्टी को सिर में सर्दी जमने पर प्रयोग में ला सकते है । ऐसी अवस्था में कपाल पर मिट्टी की पट्टी रखते है, ताकि सिर में जमी हुई सर्दी नाक के माध्यम से शरीर के  बाहर आ जाये ।  इसी प्रकार मिट्टी की पट्टी को सूजन वाले अंग पर भी रख सकते है, ताकि शरीर के सम्बधित अंग की सूजन भी दूर हो जाये । मिट्टी की पट्टी को ह्रदय पर भी रख सकते है ताकि इसके नियमित प्रयोग  से ह्रदय में कोलेस्ट्राल की मात्रा को नियन्त्रित किया जा सके । बडे ह्र्दय को भी सामान्य आकार में लाने का कार्य मिट्टी की पट्टी करती है

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