नाड़ी शोधन प्राणायाम करने की वैज्ञानिक विधि Nadi Shodhan Pranayam in Hindi

नाड़ी शोधन प्राणायाम करने की वैज्ञानिक विधि Nadi Shodhan Pranayam in Hindi

nadishodhan pranayam karane ka tarika
nadishodhan pranayam karane ka tarika

नाड़ी शोधन प्राणायाम – Benefits of Nadi Shodhan Pranayam by Dr.Jagdish Joshi, Life Style Expert 125

नाड़ी का अर्थ होता है ‘ मार्ग ‘ या ‘ शक्ति का प्रवाह ‘ और शोधन का अर्थ होता है सफाई करना है। नाड़ी शोधन का अर्थ होता है नाड़ियों को शुद्ध करना है। नाड़ी शोधन मस्तिष्क को शांत एवं निर्मल करता है और मन को शांत करता है। नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से चिंता ,तनाव ,अनिद्रा के मुक्ति मिलती है। इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से मन को अपार शांति मिलती है |

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नाड़ी शोधन प्राणायाम क्या है ? (What is the Nadi Shodhan Pranayam?):

एक नाक से श्वास लेना व दूसरी नाक से श्वास छोड़ना इस क्रिया को क्रम बध्द गति से करना ही नाड़ी शोधन प्राणायाम कहलाता है |

इस क्रिया को नियमित रूप से करने से मन शांत होता है | नाड़िया शुध्द होती है |

नाड़ी शोधन प्राणायाम करने की विधि (Nadi Shodhan Pranayam in Hindi) :

नाड़ी शोधन प्राणायाम स्वच्छ स्थान का चयन इसका अभ्यास पदमासन या सुखासन में बैठकर अपनी रीढ़ को सीधा करके अपनी आँखें बंद लें।

अपने बाएं हाथ की हथेली को बायी जांघ पर ज्ञान मुद्रा या चिन् मुद्रा में रखें। दाहिने हाथ से प्राणायाम की मुद्रा धारण करें।

मन को अपनी श्वास पर एकाग्र करें और 2-4 बार सामान्य श्वास प्रश्वास करें।
अपनी बायीं नसिका से श्वास को धीरे-धीरे भरना है, और हाथ की तीसरी अँगुली से अपनी बायीं नसिका को बंद करें।

जितना समय आप सहजता के साथ आप इस स्थिति में श्वास को रोक सकते हैं | उतने समय तक रोक कर रखें, इस अवस्था मे मूल बंध लगाए रखे |

अब अपनी दायीं नसिका से अंगूठा हटाकर श्वास को जितना धीरे हो सके बाहर की ओर छोड़ें। फिर दायीं नसिका से श्वास ले और इसे रोकें, फिर बायी नसिका के माध्यम से धीरे से निकाल दें। यह एक चक्र पूरा हुआ। आप इसे 10 से 15 बार कर सकते है।

श्वास लेना (पूरक) (1 भाग), श्वास रोकना (कुंभक) (2 भाग) व श्वास छोड़ना (रेचक) (2 भाग) अर्थात श्वास लेने, रोकने व छोड़ने मे 1:2:2 का अनुपात होना चाहिए | उदाहरण के लिए यदि श्वास लेने मे 3 सेकड लगे तो 6 सेकंड श्वास रोके व 6 सेकंड श्वास छोड़ने मे लगाए |

श्वास लेने मे छोड़ने मे थोड़ा सा प्रयत्न व सहजता होनी चाहिए |
इस प्राणायाम को करते समय ध्यान ह्रदय चक्र अर्थात अनाहत चक्र पर होना चाहिए |

नियमित रूप से नाड़ी शोधन प्राणायाम करते हुए आप इसकी अवधि को निरंतर बढ़ा सकते है, जिससे आपको इसके शारीरिक व मानसिक लाभ आसानी से प्राप्त हो जाएगे |

इस प्राणायाम को ध्यान के अभ्यास के पूर्व किया जा सकता है |

नाड़ी शोधन प्राणायाम के लाभ (What are the Benefits of Nadi Shodhan):

नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से रक्त व नाड़ियो का शुद्धिकरण होता है।
नाड़ी शोधन प्राणायाम के नियमित अभ्यास से श्वसन प्रक्रिया में सुधार आता है व श्वास लंबी गहरी होती है | नाड़ी शोधन प्राणायाम के नियमित अभ्यास से तनाव, चिंता, अनिद्रा से मुक्ति मिलती है।
नाड़ी शोधन प्राणायाम के अभ्यास से ह्रदय स्वस्थ होता है, उच्च रक्तचाप सामान्य होता है |
नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से फैफड़ों का स्वास्थ उन्नत होता है |
नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।
नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से शरीर के विजातीय तत्व बाहर निकलते है। नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से इडा-पिंगला नाडी के मध्य संतुलन होता है | नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से हमारी सोई हुई आध्यात्मिक शक्ति को जागृत होती है | नाड़ी शोधन प्राणायाम करने से सुश्मना नाड़ी के मार्ग को खोलने मे मदद करती है | नाड़ी शोधन प्राणायाम से प्राणिक ऊर्जा सक्रिय होती है | नाड़ी शोधन प्राणायाम से प्राणिक चैनलो की सफाई होती है |

क्या नाड़ी शोधन व अनुलोम विलोम समान है?(Is Nadi Shodhanand Anulom Vilom is Same):

नाड़ीशोधन प्राणायाम जिसे अलग-अलग नासिक छिद्रों से श्वास लेना कहते है | इस क्रिया मे हम एक नासिका छिद्र से श्वास लेते है | दूसरी नासिका छिद्र से श्वास छोड़ते है | यही क्रम नियमित रूप से चलता है | कुछ लोग इसे अनुलोम-विलोम प्राणायाम भी कहते है |

किसे नाड़ी शोधन प्राणायाम नही करना चाहिए (Who Should not do Nadi Shodhan):

सामान्य रूप से नाड़ी शोधन प्राणायाम कोई भी कर सकता है |

किन्तु यदि आप को बुखार है, अत्यधिक सर्दी है या पाचन संबंधी कोई विकार है तो ऐसी अवस्था मे नाड़ी शोधन प्राणायाम नही करना चाहिए |

मे कैसे जान सकता हूँ की नाड़ी जागृत हो गई है? (How do I Know If Nadi Working?):

जब हमारी मध्य नाड़ी सुश्मना नाड़ी जागृत होती तो दायी व बायी नासिका अर्थात इडा व पिंगला से समान गति से श्वास चलती है | जब दोनों नासिका से समान रूप से श्वास चलती है तो यह नाड़ी जागृत होने के लक्षण है |

आप कितनी देर नाड़ी शोधन कर सकते है?(How long should you do Nadi Shodhan):

नाड़ी शोधन प्राणायाम को कम से कम 5 मिनिट तक करना चाहिए | किन्तु यदि नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास 15-20 मिनट तक किया जाय तो इसका प्रभावी लाभ मिलता है | नाड़ी शोधन प्राणायाम की समाप्ति बायी नासिका से श्वास को छोड़कर करनी चाहिए |

नाड़ी शोधन प्राणायाम करने का सही समय कौनसा है?(Which time is most appropriate to perform Nadi Shodhan):

जब ही प्राणायाम करे नाड़ीशोधन प्राणायाम को करने के बाद करे | क्योकि इसके अभ्यास से प्राणायाम करना आसान हो जाता है | नाड़ी शोधन प्राणायाम को सुबह या शाम खाली पेट शुध्द वातावरण मे करना चाहिए | यदि आप कमरे मे अभ्यास करते है तो कमरे मे आक्सीजन का नियमित संचार सुनिश्चित करे |

नाड़ी शोधन कौनसी मुद्रा मे करनी चाहिए (What is the Mudra for Nadi Shodhan):

नाड़ी शोधन का अभ्यास विष्णु मुद्रा मे करना चाहिए | विष्णु मुद्रा हेतु अंगूठे के पास की दोनों अंगुलियो को हथेली पर स्पर्श कराये | पास वाली दोनों अंगुलियो को सीधा रखे |

नाड़ी शोधन प्राणायाम व नाड़ी शुध्दी मे क्या अंतर है? (What is the difference between Nadi Shuddhi and Nadi Shodhan):

नाड़ी शुध्दी नाक की सफाई से संबन्धित है | वही नाड़ी शोधन इस क्रिया को करने की प्रक्रिया है |

एक दिन मे प्राणायाम कितनी देर करना चाहिए?(How Many Times Pranayam can be Done in a day):

प्राणायाम की अवधि आपके शरीर की प्रकृति व उसकी अवस्था पर निर्भर करती है | किन्तु स्वास्थ्य की सामान्य अवस्था मे 60 मिंनिट तक प्राणायाम किया जा सकता है |

क्या मे भोजन के बाद अनुलोम विलोम कर सकता हूँ (Can I do Anulom Vilom after Dinner):

भोजन के बाद कोई भी प्राणायाम नही किया जा सकता है | भोजन के 4 घंटे बाद ही कोई प्राणायाम करना उचित रहता है | अर्थात जब आपका पेट खाली हो तब ही आपको प्राणायाम करना है |

नाड़ी शोधन की खोज किसने की? (Who Invented Nadi shodhan?):

नाड़ी शोधन की खोज हमारे पुरातन काल के ऋषि मुनियो के द्वारा की गई |15 वी शताब्दी मे योग पर लिखित पुस्तक हठ योग प्रदीपिका मे नाड़ी शोधन का उल्लेख किया गया है |

हठ योग प्रदीपिका मे योग की विभिन्न क्रियायों व शोधन क्रियाओ का विवरण दिया गया है | इन क्रियाओ के माध्यम से हम शरीर के विभिन्न अंगो को स्वस्थ व स्वच्छ रख सकते है |

मै नाड़ी को कैसे सक्रिय कर सकता हूँ? (How can I activate Nadi):

नाड़ी को सक्रिय करने के लिए सर्वप्रथम उसे स्वच्छ व शुध्द करना होगा | जब नाड़ी शुध्द होगी तब ही प्राणशक्ति कुंडलिनी को जागृत कर पाएगी | इडा व पिंगला नाड़ी को श्वास की क्रियाओ व शोधन क्रियाओ द्वारा सक्रिय किया जा सकता है |

नाड़ी शोधन प्राणायाम का क्या अनुपात है?(What is the ratio of Nadi shodhan Pranayam?):

योगिक पुस्तकों व अनुभवी ऋषियों, योगियो के अनुसार श्वास लेना(Inhale), श्वास रोकना(Breath Hold) व श्वास(Exhale)छोड़ने का अनुपात 1:4:2 होता है |

क्या मासिक धर्म की अवस्था मे नाड़ी शोधन किया जा सकता है? (Can we do Nadi shodhan during Period):

मासिक धर्म के दौरान महिला को अत्यधिक रक्त स्त्राव होता है | ऐसी अवस्था मे उसके शरीर की अवस्था नाजुक होती है | ऐसी अवस्था मे शरीर मे हीमोग्लोबिन की आवश्यकता बढ़ जाती है | यदि ऐसी अवस्था मे नाड़ी शोधन किया जाता है तो शरीर को भरपूर आक्सीजन की आपूर्ति होती है |

इस अवस्था मे नाड़ी शोधन/अनुलोम विलोम करते हुए कुंभक अर्थात श्वास को रोकने का अभ्यास नही करना चाहिए |

सुश्मना नाड़ी क्या होती है? (What is Sushumna Nadi):

सुश्मना नाड़ी मूलाधार चक्र(MuladharChakra) को सातवे चक्र सहस्त्राद(Crown Chakara) को आपस मे जोड़ती है | इस नाड़ी के माध्यम से ऊर्जा मूलाधार से सहस्त्राद चक्र की और जाती है | सुश्मना नाड़ी प्राण शक्ति को सम्पूर्ण शरीर मे प्रवाहित करती है |

क्या अनुलोम विलोम से हानि होती है?(Is Anulom Vilom Harmful?):

सामान्य तह: अनलोम विलोम से कोई हानि नही होती है |

क्या नाड़ी शोधन ठंडक देता है?(Is Nadi Shodhan Coolilng?):

क्या नाड़ी शोधन ठंडक देता है यह बात सही नही है | नाड़ी शोधन के द्वारा शरीर का तापमान पर कोई प्रभाव नही पड़ता है | जो वातावरण का तापमान होता है वही शरीर का तापमान रहता है|

नाड़ी को कैसे खोलेगे? (How do unblock nadies?):

नाड़ी को शुध्द व खोलने के लिए श्वास को एक एक नासिका पूटो से बाहर निकलना है | इस प्रकार आप नाड़ी शोधन का प्राणायाम आसानी से कर पाएगे और आपकी नाड़िया खुल जाएगी |

रात मे कौनसी नाड़ी सक्रिय रहनी चाहिए ?(Which Nadis active at Night):

रात को जब हम सोते है तो हमारा शरीर शारीरिक रूप से असक्रिय होता है | ऐसी अवस्था मे शरीर को ऊर्जा मिलती रहे इस उदेश्य से आपका सूर्य स्वर (दायाँ स्वर) चलना चाहिए | क्योकि सूर्य स्वर गरम होता है | इसलिए रात को सोते समय बायी करवट लेटना चाहिए | ताकि रात भर सूर्य स्वर चलता है |

जब पिंगला नाड़ी (सूर्य स्वर) बंद होता है तो क्या होता है? (What happens when Pingla is Blocked):

दाया स्वर जब बंद होता है तो ऐसी अवस्था मे बाया स्वर (चंद्र स्वर)चलता है | चंद्र स्वर ठंडा स्वर होता है | इस वजह से शरीर मे ठंडक, व्यक्ति शांत होता है | ऐसी अवस्था मे शरीर को सामान्य अवस्था मे रखने के लिए पिंगला नाड़ी (सूर्य स्वर) को श्वास की क्रिया द्वारा सक्रिय करना चाहिए |

क्या नाक से श्वास या मुंह से श्वास छोड़ना चाहिए (Should You exhale nose or mouth):

सामान्य अवस्था मे हमे नाक से श्वास लेना है व छोड़ना चाहिए | किन्तु प्राणायाम की कुछ क्रियाओ मे मुंह से श्वास ली भी जाती है और श्वास मुंह से छोड़ी भी जाती है |

उक्त बात कुछ श्वास की क्रियाओ को करते हुए होती है | वही प्राणायाम की कुछ क्रियाए जैसे शीतली व शीतकारी मे मुंह से श्वास ली जाती है | ध्यान रखे मुंह से श्वास लेते समय आसपास का वातावरण स्वच्छ होना चाहिए |

योग के पितामह कौन है?(Who is known as father of Yoga) :

महर्षि पातंजलि को योग का पितामह कहा जाता है | महर्षि पातंजलि ने योग सूत्रों के माध्यम से योग के विभिन्न आयामो को स्पष्ट किया है |

नाड़ी शोधन प्राणायाम के चमत्कार (Nadi Shodhan Pranayam Benefits):

नियमित रूप से अनुलोम विलोम प्राणायाम नियमित रूप से करने से बहुत लाभ होता है | आपकी नाड़िया शुध्द होती है | व्यक्ति धेर्यवान, एकाग्र, तनावमुक्त व शांत होता है | मस्तिष्क व शरीर की श्वसन प्रणाली स्वस्थ व सक्रिय होती है |

मुझे कैसे ज्ञात होगा की नाड़ी कार्य कर रही है?(How Do I Know if Nadis Working):

जब नाड़ी पूर्ण रूप से स्वच्छ हो जाती है तो दोनों स्वर सूर्य व चंद्र (इडा व पिंगला नाड़ी ) सामान्य गति से चलते है | जब दोनों स्वर समान गति से चलते है तो यह दर्शाता है की व्यक्ति की सुश्मना नाड़ी चल रही है | यह अवस्था किसी भी योगी के लिए बहुत महत्वपूर्ण अवस्था है |

नाड़ी शोधन प्राणायाम सावधानी (Precaution in Vascular Purification Pranayam):

नाड़ी शोधन प्राणायाम करते नासिका के माध्यम से ही श्वास ले, मुँह से श्वास कदापि न ले।

श्वास को लेते और छोड़ते समय अनावश्यक दबाब न लगाए, नाड़ी शोधन प्राणायाम को बड़ी सहजता व आराम से करे |

यदि आपको किसी प्रकार की शारीरिक समस्या है तो नाड़ी शोधन प्राणायाम को न करे।

आहार सेवन करने के 3-4 घण्टे बाद ही नाड़ी शोधन प्राणायाम करें। वैसे खाली पेट नाड़ी शोधन प्राणायाम करना लाभप्रद होता है |

नाड़ी शोधन प्राणायाम करते समय अनावश्यक जल्दबाजी न करें। नाड़ी शोधन प्राणायाम बहुत शांति व धीरज से करे इससे मन अपार शांत होगा |

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https://en.wikipedia.org/wiki/Anuloma_pranayama

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