श्वास की चमत्कारिक विधि अनुभागीय श्वास Sectional Breathing

Sectional Breathing
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श्वास की चमत्कारिक विधि अनुभागीय श्वास Sectional Breathing

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Sectional Breathing

Breathing Practices and Pranayam– Dr.Jagdish Joshi, Life Style Expert 125

अनुभागीय श्वास (Sectional Breathing)  को हम योगिक श्वसन भी कह सकते है | इस श्वसन प्रक्रिया के माध्यम हम अपने फेफड़ो की कार्यक्षमता को चमत्कारिक रूप से बढ़ा सकते है |

अनुभागीय श्वास के माध्यम सामान्य स्वास्थ वाला व्यक्ति भी बिना अत्यधिक परिश्रम के अपने फैफड़ो की कार्यक्षमता को बढ़ा सकते है | इसी प्रकार कम ऊर्जा वाले व्यक्ति भी केवल थोड़े से प्रयास से अपने फैफड़ो की कार्य क्षमता को बढ़ा सकते है

 

श्वास : महत्वपूर्ण ऊर्जा (Breathing :Vital Energy):

हिन्दू धर्म के अनुसार श्वास हमारी ऊर्जा की अभिव्यक्ति है | जैसा हम देखते है जब हम क्रोध में होते है? अत्यधिक वासना मे होते है, कोई घटना से अचानक डर जाते है, तो हमारी श्वास तेज गति से चलती है |

किन्तु जब हम शांत रहते है तो हमारी श्वास की गति बहुत धीमी व शांत होती है | इस प्रकार हम देखते है की श्वास हमारे मन व शरीर की स्थिति को प्रकट करती है |

श्वास की गति को धीमा करके हम शरीर की ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा दे पाएंगे | लम्बी गहरी श्वास श्रेष्ठ स्वास्थ की गारंटी है

लंबी गहरी श्वास लेना व छोड़ना आपकी जीवन शैली मे चमत्कारिक परिणाम लाता है | जब आप नियमित रूप से व्यायाम कराते है तो शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क को भी आराम मिलता है | लंबी गहरी श्वास से नींद गहरी आती है |

गहरी श्वास के माध्यम से आप के व्यक्तित्व में चमत्कारिक विकास होता है | शरीर स्वस्थ व निरोगी होता है |

लंबी गहरी श्वास लेने से शरीर एंडोर्फीन(Endrofine) हार्मोन्स छोड़ता है | इस हार्मोन्स के शरीर से उत्सर्जन होने से शरीर आनंद का अनुभव करता है | इसे हम एक प्राकृतिक दर्द निवारक (Natural Pain Killer) भी कहते है |

https://youtu.be/YUPaNEAg10E

गहरा श्वसन क्या है? (What is Deep Respiration):

श्वसन योगिक श्वास के रूप मे जाना जाता है | योग के अभ्यास मे श्वसन क्षमता को बढ़ाने के लिए अभ्यास है | इन अभ्यासो मे अभ्यासो के माध्यम से श्वास की लंबाई को बढ़ाया जाता है | जितनी लंबी गहरी श्वास हम लेगे उतनी गहरी हमारी श्वास होगी | इस प्रक्रिया को सजगता पूर्वक करना है |

जब हम श्वसन सीने(Chest) ,पेट(Abdomen) व कंधों (Diaphragm) के माध्यम से करते है तो हमारी श्वास लंबी व गहरी होती जाती है |

 

डायफ्राम क्या है (What is Diaphragm) :

डायग्राम पेट व सीने को बाँटने वाली मांसपेशी है | जो पेट व सीने को अलग-अलग करती है | यह एक पतले पर्दे के समान होती है |

सामान्य रूप से श्वास लेने पर हमारा डायफ्राम(Diaphragm) का उपयोग नहीं कर पाते है | जब हम इन अंगो का प्रयोग नही करते है तो हमारी श्वसन क्षमता में कमी आती है | इस वजह से हमारी श्वसन क्षमता गहरी नहीं हो पाती है | किन्तु यदि हम सीने,पेट व कंधे के माध्यम से श्वास लेते है तो हमारे श्वास लंबी व गहरी होती जाती है |

जब हम श्वसन प्रक्रिया मे पेट को शामिल करते है तो इस वजह से हमारे शरीर पर शारीरिक व मानसिक स्वास्थ पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है |

उदर श्वसन (पेट से श्वसन) (Abdominal Respiration):

उदर श्वसन में डायफ्राम को सक्रियता प्रदान कर श्वसन क्षमता बढ़ जाती है | इस प्रकार श्वसन क्षमता मे अपार वृध्दी होती है |

सीने से श्वसन (Chest Breathing):

सीने से श्वसन लेते समय पसलियों के विस्तार के माध्यम से श्वसन को लंबा गहरा किया जाता है | यदि हम पेट व सीने का श्वसन हेतु प्रयोग करते है श्वसन प्रक्रिया से हम पर्याप्त श्वास लेने मे सफल होते है | इस प्रकार शरीर को भरपूर आक्सीजन मिलती है |

कंधो से श्वसन (Shoulder Breathing);

सीने से श्वास लेने के बाद कंधों को ऊपर उठाते हुए श्वास को विस्तार देते है | जब हम कंधो को ऊपर की और उठाते हुए श्वास लेते है तो हमारी श्वसन क्षमता में अपार वृध्दि होती है

यदि हम श्वसन के लिए सीने,पेट व डायफ्राम के साथ कंधो का भी प्रयोग करते है तो हमारी श्वसन क्षमता में वृद्धि होती है | हमारा ध्यान अंतिम चरण पर केन्द्रित होता है |

रक्त के प्रवाह को सुचारु करता है (Improve Blood Flow):

जब हम लंबी गहरी श्वास लेते है तो डायफ्राम के ऊपर नीचे गति करने से शरीर से विषाक्त पदार्थ तेज गति से बाहर निकलते है | इस वजह से शरीर में रक्त का प्रवाह सुचारू होता है |

जीवनी शक्ति को मजबूत करे (Improve Immunity):

लंबी गहरी श्वास लेने से शरीर मे आक्सीजन की मात्रा बढ़ती है | शरीर से कार्बन डाय आक्साईड बाहर होती है | इससे रक्त मे आक्सीजन का स्तर बढ़ता है | जब रक्त मे आक्सीजन का स्तर बढ़ता है तो शरीर के विभिन्न अंगो को आक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह होने से वे सुचारु रूप से कार्य करते है |

इस वजह से शरीर आंतरिक रूप से स्वच्छ व विष से मुक्त होता है| इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मे वृध्दी होती है | लंबी गहरी श्वास लेना प्राकृतिक रूप से टाक्सीन को शरीर के बाहर निकालता है | इससे शरीर का मेटाबोलिजम सक्रिय होता है |

तनाव से मुक्ति प्रदान करे (Calms down Anxiety):

लंबी गहरी श्वास लेने से शरीर को पर्याप्त आक्सीजन मिलती है | इससे मस्तिष्क को पर्याप्त आक्सीजन मिलने से हार्मोन्स संतुलित होते है | इस प्रकार कार्टिसोल के स्तर को कम करता है | शरीर मे एंडोर्फिन हार्मोन्स के स्तर को बढ़ाता है |

गहरी नींद पाए (Help to Sleep Better):

जब आप लंबी गहरी श्वास लेते है तो आपका शरीर डिटॉक्सीफाईड होता है |इससे मन में शांति की भावना पैदा होती है | इस वजह से गहरी नींद आती है | इसलिए चिकित्सक भी नींद की समस्या से निपटने के लिए लंबी गहरी श्वास के अभ्यास को महत्व देते है |

ऊर्जा का स्तर बढ़ाये (Increases Energy Level):

जब हम लंबी गहरी श्वास लेते है तो रक्त मे आक्सीजन का स्तर बढ़ने से हमारा शरीर ऊर्जा से भर जाता है |

व्यक्तित्व को आकर्षक बनाये (Improve Posture):

जब आप लंबी गहरी श्वास लेते है तो आपके शरीर का पोस्चर में सुधार होता है |शरीर सीधा होता है | शरीर की आकृति सही होने से आपके व्यक्तित्व में निखार आता है |

शरीर को सूजन से मुक्त रखे (Reduce Inflammation):

लंबी गहरी श्वास सूजन को भी कम करती है | सर्दी से लेकर कैंसर रोग शरीर की अम्लीय प्रकृति के कारण होते है | जब आप नियमित रूप से लंबी गहरी श्वास लेते है तो शरीर की अम्लता मे चमत्कारिक रूप से कमी आती है | इस प्रकार लंबी गहरी श्वास के माध्यम से हम अनेक रोगो से सुरक्षित हो जाते है | इस प्रकार हम सर्दी से लेकर केन्सर जैसे रोगो से सुरक्षित हो जाते है |

शरीर को टॉक्सिन मुक्त रखे (It Detoxify the Body):

लंबी गहरी श्वास की वजह से शरीर से टॉक्सिन तेजी से बाहर निकलते है | इस वजह से शरीर आंतरिक रूप से स्वच्छ होता है | शरीर के आंतरिक रूपसे स्वच्छ होने से शरीर की अनेक रोगो से सुरक्षा हो जाती है |

लिम्पेटिक ग्लेण्ड को सक्रिय बनाये (Stimulate Lymphatic System):

लंबी गहरी श्वास के नियमित अभ्यास से लिम्पेटिक ग्लेण्ड को गति मिलती है |इससे शरीर की आंतरिक प्रणाली सुचारु रूप से कार्य करती है | जब हम धीमी गति से श्वास लेते है तो लिम्पेटिक ग्लेण्ड की गति धीमी हो जाती है | 

पाचन प्रणाली को स्वस्थ बनाये (Improve Digestion):

लंबी गहरी श्वास के अभ्यास से हमारे पाचन संस्थान को पर्याप्त मात्रा मे रक्त मिलता है | आंतों की गति अपने उचित स्तर पर होती है | इसलिए लंबी गहरी श्वास के अभ्यास से पाचन संस्थान सुचारु रूप से कार्य करता है |

शरीर और मन को शांत करे (Breathe Relaxes Body and Mind):

जब हम श्वास को लंबा गहरा नहीं ले पाते है या हम डरे होते है तो श्वास की गति धीमी हो जाती है | लंबी गहरी श्वास के नियमित अभ्यास से हमारा शरीर व मन शांत होता है | पाचन प्रणाली को स्वस्थ बनाये | शरीर और मन को शांत करे |

Sectional Breathing :सेक्शनल ब्रीथिंग प्राणायाम के अभ्यास को करने के पूर्व का अभ्यास है | जब हमारी श्वास छोटी होती है | जब हम अपनी श्वसन क्षमता का पूर्ण या पर्याप्त उपयोग नहीं करते है तो हमें इस प्रणाली की आवश्यकता पड़ती है |

जब हम वज्रासन, पदमासन या सुखासन में बैठकर इसका अभ्यास करते है तो हमारे शरीर की रीढ़ सीधी रहती है | इस प्रकार के आसन की स्थिति में आप अपनी श्वसन क्षमता को बढ़ाने का अभ्यास कर सकते है |

अनुभागीय श्वास (Procedure of Sectional Breathing) :

अनुभागीय श्वासकरने हमें पेट, सीना व कंधे की सहायता से अपने फेफड़ो की कार्य क्षमता को बढ़ाना है | सेक्शनल ब्रीथिंग करने के लिये पेट, सीना व कंधे को एक-एक करके श्वास लेने का अभ्यास करते है | जब हम इनका एक-एक करके अभ्यास करते है तो हमारा अच्छा अभ्यास होता है | उसके बाद पेट, सीना व कंधे को क्रमश: श्वसन प्रक्रिया में प्रयोग में लाते है | इस प्रकार का अभ्यास वज्रासन, पदमासन या सुखासन में बैठकर करे |

सबसे पहले पेट की सांस ली जाती है। ठुड्डी मुद्रा अपनाएं और हाथों को घुटने पर रखें। पेट के माध्यम से श्वास लें और छोड़ें। आपने नवजात शिशु की सांसें देखी होंगी। बच्चा सामान्य रूप से पेट की सांस लेता है। साँस लेने के साथ, पेट बाहर निकल जाता है। साँस छोड़ते हुए पेट अंदर आ जाता है। याद रखें छाती और कंधे अपनी स्थिति में रहेंगे। इस अभ्यास के दौरान केवल पेट का विस्तार और संकुचन होता रहता है। इस श्वास को 8-10 बार करें।

उदर श्वसन (Abdomen Breathing):

इस प्रक्रिया में पेट से श्वसन लिया जाता है | ठुड्ढी को कंठ से लगाए | दोनों हाथो को घुटने पर रखे | पेट से नियमित रूप से श्वसन ले व छोडे | जिस प्रकार नवजात शिशु पेट से श्वास लेता है | इस स्थिति में जब आप श्वास लेते है तो पेट फुलता ओर जब आप श्वास छोड़े तो पेट अंदर जाता है | इस प्रक्रिया के दौरान पेट का विस्तार व संकुचन होगा | इस क्रिया को 8-10 बार करे |

सीने से श्वसन (Sectional Breathing ) :

इस प्रकार के श्वसन में आराम दायक आसन की स्थिति में बैठ जाए | हाथों से चिन्मय मुद्रा बना ले | इस प्रक्रिया में सीने को फुलाते हुए श्वसन ले व श्वास को छोड़े | इस प्रक्रिया में आपकी सम्पूर्ण जागरूकता सीने की मांसपेशियों पर रहेगी | इस प्रकार आपको सीने के प्रयोग से श्वास से लेना है | इस प्रक्रिया को 8-10 बार दोहराए |

कंधों से श्वसन (Sectional Breathing ) : 

श्वास की इस प्रक्रिया को Shoulder Breathing भी कहते है | श्वास की इस प्रकिया में कंधे के प्रयोग से श्वास को विस्तार दिया जाता है | हाथो को जांध की जड़ पर रखे | इस प्रकिया को 8-10 बार दोहराए |

पूर्ण योगिक श्वसन (Full Yogic Breathing):

जब आप पेट, सीने व कंधों के माध्यम से प्रयास पूर्वक श्वास लेते है | उक्त प्रकिया योगिक श्वसन के अंतर्गत आती है | श्वसन की इस प्रकिया हमें भरपूर कार्बन डायऑक्साइड शरीर से बाहर निकलती है | इस वजह से आप अपने शरीर को भरपूर आक्सीजन से परिपूर्ण कर देते है | जब इस प्रकार से हम श्वास लेने का अभ्यास करते है तो हम अपने फेफड़ो की पूर्ण क्षमता का विकास कर पाते है |

अनुभागीय श्वास की सम्पूर्ण विधि(Complete Procedure of Sectional Breathing) :

पूर्ण योगिक श्वसन के लिए धीरे-धीरे पेट को फुलाए, सीने को फुलाए व कंधो को श्वास के माध्यम से ऊपर की और करते हुए भरपूर श्वास लेने का प्रयास करे | इसके बाद कंधो को ढीला छोड़े, सीने से श्वास को खाली करे | पेट को अंदर की और दबाते हुए श्वास को बाहर की और निकाले |

अनुभागीय श्वास (Sectional Breathing) :

अनुभागीय श्वास (योगिक श्वसन) में हम अपने फेफड़ो को कार्यक्षम बनाते है | जो लोग नियमित व्यायाम नहीं करते है वे अपने फेफड़ो की केवल 2/3 क्षमता का ही प्रयोग कर पाते है | इस वजह से ऐसे लोग अपनी जीवन शक्ति को बढ़ा नहीं पाते है | ऐसे लोगो के लिए योगिक श्वसन एक वरदान है | इस प्रक्रिया के माध्यम से एक सामान्य व्यक्ति भी अपने फेफड़ो की क्षमता को बढ़ा सकते है |

योग की विभिन्न क्रियाओ के माध्यम से हम श्वास की क्षमता को बढ़ा सकते है :

योगिक श्वसन व प्राणायाम (Breathing Practice and Pranayam)
अनुलोम विलोम प्राणायाम (Anulom Vilom Pranayam )
भस्त्रीका प्राणायाम (Bhastrika Pranayama)
कपाल भाति (Kapalbhati Pranayama)
इन अभ्यासों के माध्यम से भी हम अपने फैफड़ो की क्षमता में वृध्दि की जा सकती है |

जब हम नियमित रूप से अनुभागीय श्वास के माध्यम से तनाव, मानसिक थकान, शारीरिक थकान व अन्य रोगो को दूर करने में मदद करता है |

इस प्रकार हम देखते है अनुभागीय श्वास (Sectional Breathing) के माध्यम से हम अपने शरीर के स्वास्थ्य को नई दिशा दे सकते है |

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https://en.wikipedia.org/wiki/Diaphragmatic_breathing

https://en.wikipedia.org/wiki/Respiratory_inductance_plethysmography

https://en.wikipedia.org/wiki/Pranayama

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