सूर्य नमस्कार श्रेष्ठ स्वास्थ्य का रहस्य Surya Namaskar Poses

Surya Namaskar Poses

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सूर्य नमस्कार श्रेष्ठ स्वास्थ्य का रहस्य Surya Namaskar Poses – lifestyleexpert125.com

Surya Namaskar Poses

                                                                 सूर्य नमस्कार (Surya Namaskara) श्रेष्ठ स्वास्थ्य का रहस्य

सूर्य नमस्कार श्रेष्ठ स्वास्थ्य का रहस्य(Surya Namaskar Poses) – आज के समय में हर व्यक्ति स्वस्थ रहना चाहते है | क्या स्वस्थ रहने के कोई व्यायाम, योग अभ्यास है? हां शरीर को स्वस्थ रखने के लिए श्रेष्ठ अभ्यास सूर्य नमस्कार है | जिसका अभ्यास कर हम स्वस्थ व निरोगी हो सकते है | सूर्य नमस्कार एक सम्पूर्ण योगाभ्यास है | इसके नियमित अभ्यास से शरीर के वाह्य अंग शक्तिशाली होते है |  सम्पूर्ण अंत: स्त्रावी ग्रंथिया भी शक्तिशाली होती है | सूर्य नमस्कार श्रेष्ठ योग का शक्ति प्रदान करने वाला अभ्यास है | सूर्य नमस्कार विभिन्न पोसेस (Surya Namaskar Poses) से बनता है | इस प्रकार हम सूर्य नमस्कार के माध्यम से स्वास्थ्य के रहस्यों को जानते है |सूर्य नमस्कार के विभिन्न अभ्यासों से शरीर स्वस्थ व निरोगी होता है |

सूर्य नमस्कार का धीमी गति से अभ्यास करने से योग आसनों के अभ्यास का लाभ मिलता है | यदि इसे  के उच्चारण साथ किया जाता है तो इसका चमत्कारिक व आध्यात्मिक लाभ मिलता है | यदि इसे तेज गति से किया जाता है तो व्यायाम(Surya Namaskar Poses) का लाभ भी मिल जाता है जिससे शरीर बलशाली व पुष्ट होता है | जो बच्चे शक्तिशाली व बलिष्ठ बनना चाहते है उनके लिये सूर्य नमस्कार एक श्रेष्ठ अभ्यास है ।

सूर्य नमस्कार की आकृति (Surya Namaskar Poses) :                                                                                                                    सूर्य नमस्कार की विभिन्न आकृतियाँ 12 प्रकार से बनती है | इन सब आकृतियों में शरीर के विभिन्न अंगों पर आतंरिक व वाह्य खिचाव आता है | इस प्रकार सूर्य नमस्कार हमारे सम्पूर्ण शरीर को स्वस्थ व निरोगी बनाती है |

सूर्य नमस्कार के स्टेप्स (Surya Namaskar Steps) :                                                                                                                          सूर्य नमस्कार को हम विभिन्न 12 स्टेप्स में करते है | इन स्टेप्स को कुछ देर रुकते हुए करने से आसनो का लाभ मिलता है | वही इन स्टेप्स को जल्दी-जल्दी करने से व्यायाम का लाभ मिलता है |

सूर्य नमस्कार योग (Surya Namaskar Yoga) :                                                                                                                                  सूर्य नमस्कार योग ही है | क्योकि यह योग के विभिन्न अभ्यासों नमस्कार, पाद हस्तासन, शशक आसन, भुंजगासन, पर्वतासन व अन्य आसन शामिल होते है | इस प्रकार हम सूर्य नमस्कार को आसनो का समुह भी कह सकते है |

1.नमस्कार आसन (Surya Namaskar Poses):                                                                                                                                  दोनों पैरों को मिला कर रखे | अंगूठे से लेकर चोटी तक शरीर को एक सीधी रेखा मे रहे | ऐसी अवस्था मे नमस्कार करें | श्वास भर कर ॐ शब्द का उच्चारण करें | अपने ध्यान को  आज्ञा चक्र अर्थात दोनों भोओं के मध्य लगाए |

२. हस्त उत्तानासन(Surya Namaskar Poses):                                                                                                                                  श्वास छोड़ते हुए हाथ नीचे करें | श्वास भरते हुए दोनों हाथों को  ऊपर की ओर उठाए | दोनों हाथों को कान से चिपका कर रखे, पीछे की और झुके व अपनी क्षमतानुसार कुछ देर रुके रहे | श्वास भरते हुए ॐ शब्द का उच्चारण करें | अपने ध्यान को विशुध्दि चक्र अर्थात कंठ के ठीक पीछे लगाए |

3.पाद हस्तासन (Surya Namaskar Poses):                                                                                                                                     श्वास भरते हुए शरीर को सीधा करें | सिर व हाथ को मिलाए रखे व धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए सामने की और झुके दोनों हथेली को अपने पंजो के आसपास जाने के लिए ढीला छोड दे | झुकने के लिए अनावश्यक प्रयास न करें | शरीर स्वत: ही झुक जाएगा | पूर्ण स्थिति मे श्वास-प्रश्वास को सामान्य रखे | श्वास भरे व ॐ शब्द का उच्चारण करें |  अपने ध्यान को मणिपुर चक्र पर लगाए रखे, मणिपुर  चक्र नाभि के ठीक पीछे होता है |

 4.अश्व संचालनासन(Surya Namaskar Poses):                                                                                                                                  एक घुटने से पैर को मोड़ते हुए दोनों हथेलियों को दोनों पंजों के आसपास टिका दे | धीरे-धीरे दाहिने पैर को अधिकतम पीछे की और ले जाए | बाए पैर को वही रहने दे व सीने से दबाए | दाहिना घुटना एकदम सीधा रहे | लंबा गहरा श्वास भरे व है भानवे नम: का उच्चारण करें | पूर्ण स्थिति मे श्वास-प्रश्वास सामान्य रखे | अपने ध्यान को स्वादिष्ठान चक्र अर्थात प्रजनन अंग के ठीक पीछे लगाए |

5. व्दिपाद प्रसार आसन (Surya Namaskar Poses):                                                                                                                         अब बाए पैर को भी पीछे की और ले जाए, शरीर के सम्पूर्ण भार को हथेली व पंजों पर संतुलित करें | गर्दन सीधी रखे | शरीर फिसल पट्टी की स्थिति मे रहे | श्वास भरे  व ॐ शब्द का उच्चारण करें | पूर्ण स्थिति मे श्वास-प्रश्वास सामान्य रखे | अपने ध्यान को अनाहत चक्र अर्थात ह्रदय के ठीक पीछे लगाए |

6.शशकासन(Surya Namaskar Poses):                                                                                                                                          श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए घुटने जमीन पर टिका दे | पंजे पीछे की और फैला दे | इस  प्रकार एडी पर बैठक करें | कोशिश यह होनी चाहिए की हाथ अपने स्थान पर स्थिर रहे | पूर्ण स्थिति मे श्वास-प्रश्वास सामान्य रखे | अपने ध्यान को मणिपुर चक्र अर्थात नाभि चक्र  के ठीक पीछे लगाए |

7.अष्टांग आसन:                                                                                                                                                                                      धीरे-धीरे श्वास भरते हुए ठुड्डी व सीना जमीन पर टिकाते हुए घुटने को जमीन पर टिका दे | नितंब उठे हुए रखे, पूर्ण स्थिति मे श्वास प्रश्वास सामान्य रखे, अपने ध्यान को सम्पूर्ण शरीर पर केन्द्रित रखे |  श्वास भरे व ॐ शब्द का उच्चारण करें |

8. भुजंगासन : हथेली से पूरे शरीर का भार जमीन पर डालते हुए सीने को श्वास भरते हुए ऊपर उठा ले | अपनी दृष्टी को आकाश की और स्थिर करें | पूर्ण स्थिति मे श्वास-प्रश्वास सामान्य रखे | अपने ध्यान को स्वादिष्ठान चक्र अर्थात प्रजनन अंग के ठीक पीछे लगाए | श्वास भरे व ॐ शब्द का उच्चारण करें |

 9.पर्वतासन:                                                                                                                                                                                            अब धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए पूरे शरीर को जमीन पर लिटा दे | धीरे-धीरे  सम्पूर्ण शरीर को ऊपर उठाकर पर्वत का आकार देवे | पूर्ण स्थिति मे श्वास-प्रश्वास सामान्य रखे | अपने ध्यान को सहस्त्रार चक्र अर्थात सिर के बीच वाले भाग पर लगाए |

10.शशकासन:                                                                                                                                                                                        श्वास को धीरे-धीरे छोड़ते हुए घुटने जमीन पर टिका दे | पंजे पीछे की और फैला दे | इस प्रकार ऐडी पर बैठक करें | कोशिश यह होनी चाहिए की हाथ अपने स्थान पर स्थिर रहे | पूर्ण स्थिति मे श्वास-प्रश्वास सामान्य रखे | अपने ध्यान को मणिपुर चक्र पर लगाए |

11.अश्व संचालनासन:                                                                                                                                                                                धीरे धीरे श्वास भरते हुए दाहिने पंजे को दोनों हाथो के बीच रखे  | बाए पैर को वही रहने दे व सीने से दबाए | दाहिना घुटना एकदम सीधा रहे | लंबा गहरा श्वास भरे व है ॐ शब्द का उच्चारण करें | पूर्ण स्थिति मे श्वास-प्रश्वास सामान्य रखे | अपने ध्यान को स्वादिष्ठान चक्र अर्थात प्रजनन अंग के ठीक पीछे लगाए |

12.पाद हस्तासन :                                                                                                                                                                                    धीरे-धीरे श्वास भरते हुए बाए पैर को भी आगे लाये  | सिर व हाथ को मिलाए रखे व धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए सामने की और झुके दोनों हथेली को अपने पंजो के आसपास ले  जाने के लिए ढीला छोड दे | झुकने के लिए आवश्यक प्रयास न करें | शरीर स्वत:  ही झुक जाएगा | पूर्ण स्थिति मे श्वास-प्रश्वास को सामान्य रखे | श्वास भरे व ॐ शब्द का उच्चारण करें |  अपने ध्यान को मणिपुर चक्र पर लगाए रखे, मणिपुर  चक्र नाभि के ठीक पीछे होता है |

13.हस्त उत्तानासन:                                                                                                                                                                                  धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए  सिर व हाथ को  ऊपर उठाते हुए शरीर को शीधा कर पीछे की और ढीला छोड़ दे | अपनी क्षमतानुसार कुछ देर रुके रहे | श्वास भरते हुए हो अर्काय नम: का उच्चारण करें | अपने ध्यान को विशुध्दि चक्र पर लगाए |

14.नमस्कार आसन:                                                                                                                                                                                  अब शरीर धीरे-धीरे सीधा कराते हुए नमस्कार की मुद्रा बनाए | अंगूठे से लेकर चोटी तक शरीर को एक सीधी रेखा मे रहे | श्वास भर कर ॐ शब्द का उच्चारण करें |

अंत मे श्वास भरते हुए ॐ शब्द का उच्चारण करें | सूर्य नमस्कार की समाप्ति पर 5 मिनिट का शवासन कर शरीर को आराम प्रदान करें |

सूर्य नमस्कार के लाभ (Health Benefits of Suraya Namskar):                                                                                                   सूर्य नमस्कार से वजन कम करे (Surya Namaskar for Weight Loss):                                                                                       तेज गति से सूर्य नमस्कार का अभ्यास करने से वजन तेजी से कम होता है | इसके साथ ही आहार में उचित सुधार करना होगा | यदि हम रोज ६ सूर्य नमस्कार से प्रारम्भ करते हुए प्रति सप्ताह 2 सूर्य नमस्कार बढ़ाते है तो कुछ दिनों में हम ज्यादा संख्या में सूर्य नमस्कार कर पाएंगे |

दुबलेपन से मुक्ति पाए(Healthy Diet For Weight Gain) :                                                                                                              यदि आप सूर्य नमस्कार को बहुत आराम से अर्थात प्रत्येक स्थिति में 15-20 सेकण्ड तक रुकते हुए करते है तो आप दुबलेपन से मुक्ति पाते है | आपका शरीर सुडोल हो जाता है | शरीर में मांसलता आ जाती है |यदि आप सूर्य नमस्कार के अभ्यासों के साथ-साथ पर्याप्त पोषक आहार का सेवन करते है | तो निश्चित ही सुडोल शरीर के मालिक बन जाते है | 

 

इस प्रकार हम तेजी से वजन कम करने में सफल हो जायेगे | ध्यान रखे यदि आप हृदय रोग, घुटने के दर्द या किसी रोग विशेष के शिकार है तो आपको सूर्य नमस्कार करने के पूर्व अपने चिकित्सक से सलाह अवश्य लेना चाहिए |

पाद हस्तासन का नियमित अभ्यास करने से पेट की चर्बी कम होती है और रीढ़ लचीली होती है जिससे स्नायु संस्थान शक्तिशाली होता है |

उपरोक्त अभ्यासों से रीढ़ के विकास में लाभ मिलता है और बच्चों की ऊचाई पर्याप्त रूप से बढ़ती है |

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https://en.wikipedia.org/wiki/Sun_Salutation

https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%A8%E0%A4%AE%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0

https://en.wikipedia.org/wiki/Category:Surya_Namaskar

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