वायरल फीवर के लक्षण, कारण व आसान निदान Home Remedies for Viral Fever

Home Remedies for Viral Fever

Viral Fever-Lifestyle Expert 125

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वायरल फीवर के लक्षण, कारण व आसान निदान Symptoms, causes & Home Remedies for Viral Fever
Symptoms, causes & Home Remedies for Viral Fever – Dr.Jagdish Joshi, Lifestyle Expert 125

Medically reviewed by – Dr.Jagdish Joshi, Lifestyle Expert, Phd, Vedic Hindu University Florida, America, Experience- 26 years in Health Sector

Home Remedies for Viral Fever
Home Remedies for Viral Fever

वायरल फीवर क्या है?(What is Viral Fever):                                                      बारिश के मौसम में होने वाली बुखार को वायरल बुखार कहते हैं। वायरल फीवर प्राय: मौसम बदलने के दौरान होने वाली बीमारी है। जब भी मौसम बदलता है और वातावरण के तापमान में निरंतर बदलाव होता है | जब वातावरण में तापमान में निरंतर परिवर्तन आता है  | तो हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है | इस वजह से हम जल्दी ही सर्दी-खांसी (Cough and Cold) व बुखार (Fever) के अर्थात वायरल फीवर के शिकार हो जाते है ।

बुखार कितने प्रकार के होते है?(What are the different type of fever):                          बुखार के अनेक प्रकार है डेंगू बुखार(Dengu Fever), टायफाइड(Typhoid), कोरोना बुखार(Corona), डेल्टा वेरियंट(Delta Variant), मौसमी बुखार(Seasonal Fever), मलेरिया बुखार (Malriya Fever) व अन्य प्रकार के बुखार आते है | इसके साथ ही विभिन्न वायरसों की वजह से नये -नये बुखार आ रहे है | जिनके नाम उन वायरसों के नाम पर होते है |

वायरल फीवर को इस बात को हम इस प्रकार से भी कह सकते हैं। मौसम के बदलाव(Change of Whether) व खानपान की गलतियां व शरीर कमजोरी की वजह से वायरल फीवर होता है। बुखार यानी हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity)की कमजोरी हैं। इसकी वजह से वायरल का संक्रमण बहुत तेजी से होता है। वायरल फीवर एक इंसान से दूसरे इंसान तक बहुत आसानी से पहुंच जाता है।

बारिश के मौसम में वातावरण में बहुत अधिक मच्छर हो जाते है | इस वजह से व्यक्ति की जीवनशक्ति (Vital Force) प्रभावित होती है | इस वजह से व्यक्ति वायरल फीवर का शिकार हो जाता है |

किन्तु कई बार इसकी और ध्यान नहीं देने व इसे हलके में लेने की वजह से यह बुखार गंभीर हो जाता है | वायरल फीवर सामान्य बुखार जैसे ही आता है | इसे हल्के में लेना जीवन के लिए खतरा हो सकता है।

वायरल बुखार से कैसे सुरक्षित रहे? (How to stay safe in Viral Fever-Home Remedies for Viral Fever):           

वायरल फीवर से घबराने की आवश्यकता नहीं है | क्या 100% आबादी को बुखार आता है ? नहीं क्योकि 100% आबादी वायरस वाले वातावरण में रहती है | बुखार का कारण केवल वायरस नहीं है | जो शरीर से कमजोर है वही विभिन्न प्रकार के बुखार के बुखार का शिकार होता है |

यदि हम स्वस्थ जीवन शैली को अपनाते है तो आप वायरल फीवर के शिकार ही नहीं होंगे | केवल जीवनचर्या में परिवर्तन से ही आप वायरल फीवर से जीवन भर सुरक्षित हो सकते है | हमारा उदेश्य है की हम अपने शरीर को इतना मजबूत बनाए  | ताकि हमें वायरल फीवर क्या कोई अन्य रोग ही न हो | तो आईये हम रोग से मुक्त समाज का निर्माण करे |

वायरल फीवर का हिंदी अर्थ (Viral Fever Hindi Meaning):                                          मौसम बदलने पर आने वाले बुखार को वायरल फीवर कहते है | क्योकि मौसम के बदलने पर हमारी जीवनी शक्ति कमजोर हो जाती है | हम बुखार के शिकार हो जाते है | इस बुखार की अनदेखी करना स्वास्थ्य को संकट में डाल देता है |

क्या वायरल फीवर संक्रामक बीमारी है?(Is Viral Fever Contagious) :                                                              हां वायरल फीवर संक्रामक बीमारी है | यह व्यक्ति के संपर्क व वायु के संपर्क में रहती है | हमें इस रोग की अवस्था में रोगी से दूरी व मास्क का प्रयोग कर अपने को सुरक्षित रखना है | वायरल फीवर से बचने का श्रेष्ठ उपाय हमारे शरीर की मजबूत जीवनी शक्ति ही है |

वायरल फीवर होने के कारण (Causes of Viral Fever):                                              संक्रमण के होने के कारण होने वाली बीमारी वायरल फीवर है। आयुर्वेद के अनुसार जब तक हमारे शरीर में वात, पित्त व कफ संतुलित अवस्था में होते हैं  | तो हम स्वस्थ रहते है | जब इनमे किसी तत्व में असंतुलन होता है  | तो हम वायरल बुखार के शिकार हो जाते है | मौसम बदलने व तापमान में निरंतर परिवर्तन आने की वजह से हमारी जठराग्नि (Digestive Fire) कमजोर हो जाती है | हमारी भूख कम हो जाती है। किन्तु हम अपने नियमित आहार को सेवन करते रहते है | कई बार तो आहार के नियमो को तोड़ते हुए गलत आहार का भी सेवन कर जाते है |

इस बात को इस प्रकार समझ सकते है | बारिश के मौसम में तापमान में निरंतर बदलाव आता रहता है | कभी अत्यधिक ठंडा, कभी अत्यधिक गर्म तो कभी शरीर बारिश में गीला हो जाता है | इस प्रकार हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बुरी तरह से प्रभावित होती है | इसके साथ ही हम जिस आहार का सेवन करते है वह जारी रहता है |

इसीलिये हमने देखा है की बारिश के मौसम को हिन्दु धर्म में चतुर्मास(Rainy Season) कहते है | बारिश के मौसम में हिन्दू धर्म में उपवास(Health Benefits of Fast) की परम्परा है | हमारे देश के प्रधानमंत्री आदरणीय मोदीजी भी चतुर्मास में केवल एक समय ही आहार ग्रहण करते है | इसी प्रकार कई लोग इस मौसम में एक समय ही भोजन करते है

यदि हम इस मौसम में अपने खाने के तरीके को अपनी पाचन क्षमता (Digestion Power)के अनुसार रखते है  | तो निश्चित ही हम बारिश के मौसम में कभी बीमार नहीं होंगे |

वायरल फीवर जांच (Viral Fever Test):                                                            यदि आपके शरीर में बुखार के लक्षण प्रगट होते है तो आपको तुरंत अपने रक्त की जांच करवाना चाहिए | इस प्रकार हम अपनी बीमारी की उचित पहचान करवा कर उचित चिकित्सा परामर्श ले सकते है |

वायरल फीवर की श्रेष्ठ चिकित्सा (Best Medicine For Viral Fever):                                                                  यदि आप अपनी जीवन शैली को व्यवस्थित रखते है | अपनी इम्मयूनिटी को मजबूत बनाये रखते है तो निश्चित ही आप वायरल फीवर के शिकार ही नहीं होंगे |

वायरल फीवर होने के कारण गलत जीवन शैली : (Causes of Viral Feveri in Hindi)):                जब नियमित रूप से तापमान में बदलाव आता है तो हमारी पाचन प्रणाली व जीवनी शक्ति कमजोर होती है | वायरल फीवर होने का मुख्य कारण निरंतर तापमान में बदलाव |आप सोचिए की आपकी पाचन अग्नि कमजोर, आप को भूख नहीं लग रही है | ऐसी अवस्था में आप खाने को नहीं बदल रहे है | तो आप कैसे स्वस्थ रख सकते है | जब आप नियमित रूप ऐसी अवस्था में आहार का सेवन करते तो सेवन किया गया भोजन नहीं पचता है | जब सेवन किया गया भोजन नहीं पचता है तो वह शरीर में रहकर सड़ता है | जब भोजन सड़ेगा तो आपकी जीवन शक्ति कमजोर हो |

वायरल फीवर होने के कारण मुख्य कारण गंदा पानी पीना, गरिष्ठ आहार का सेवन करना बाजार का प्रदूषित आहार का सेवन करना है | बासी पुराना भोजन करना व अन्य कारण वायरल फीवर के है |

यदि आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) कमजोर है तो आप वायरल फीवर के शिकार हो सकते है | आप वायरल फीवर के शिकार व्यक्ति के संपर्क में आते है तो भी आप वायरल फीवर के शिकार हो सकते है । वायरल फीवर पानी व हवा के माध्यम से फैलता है

वायरल फीवर के प्रकार (Types of Viral Fever):                                                    वायरल फीवर के विभिन्न प्रकार है डेंगू (Dengue), पीला ज्वर, मार्गबर्ग एम्बेरीक फीवर, लासा फीवर, इबोला, कांगो फीवर | वायरल फीवर के विभिन्न प्रकारो के अतिरिक्त अन्य बुखार भी वायरल बुखार की श्रेणी में आते है |

वायरल फीवर के लक्षण ( Symptoms of Viral Fever in Hindi):                                    वायरल फीवर के लक्षण सामान्य बुखार की तरह ही है। वायरल फीवर के प्रति लापरवाही करना (Viral Fever ke lakshan) आपको खतरे में डाल सकता है। वायरल फीवर के मुख्य लक्षण

थकावट रखना,

खांसी, सर्दी -जुकाम,

उल्टी, दस्त ,

संपूर्ण शरीर में दर्द,

जोड़ो का दर्द,

शरीर के तापमान में वृद्धि होना,

त्वचा के ऊपर रेशेज ,

गले में दर्द, जलन,

सिर दर्द होना (Headache),

आंखों में लालपन (Redness in Eyes)

ये मुख्य वायरल के लक्षण है |

वायरल फीवर कितने दिनों तक रखता है (Duration of Viral Fever) :                                सामान्य तह: वायरल फीवर 4-5 दिनों तक रहता है | किन्तु यदि हमारे व्दारा आहारचर्या में अनियमिता की जाती है | सही चिकित्सा नहीं की जाती है तो वायरल फीवर 15-20 दिनों तक रहता है |

वायरल फीवर से कैसे सुरक्षित रहे ?(How to Stay Safe from Viral Fewer-Home Remedies for Viral Fever):       

वैसे तो हमें हमेशा स्वस्थ जीवन शैली को अपनाना चाहिए | खासतौर पर जब मौसम में निरंतर बदलाव आते है तो हमें विशेष रूप सावधान रहना चाहिए | बारिश के मौसम में पानी की शुध्दता का विशेष ध्यान रखे | फलों व सब्जियों को अच्छी तरह से धोकर ही प्रयोग में लाये | अत्यधिक मिर्च मसालों के सेवन से बचे | वायरल फीवर के शिकार व्यक्ति से दूर रहे | नियमित रूप से सक्रिय रहने के लिए टहलना, योग, प्राणायाम ध्यान का अभ्यास करे |

वायरल फीवर से सुरक्षा प्रदान करे -संतुलित वात , पित्त व कफ (Provide Protection againts Viral Fever- Balanced Vat, Pit and Cough):
यदि हमारे शरीर में वात (गैस), पित्त (ऐसिड) व कफ संतुलित मात्रा में है तो आप कभी रोगी नहीं होंगे | यदि इनमे से कोई लक्षण प्रगट हो तो लक्षणों के प्रति सजग रहते हुए इन्हे आहार व संयम से दूर करने का प्रयास करे |

शरीर को स्वस्थ व वायरल फीवर से सुरक्षित रहने के लिए मौसमी फलो का पर्याप्त मात्रा में सेवन करे | यदि हम सही स्वस्थ जीवन शैली अपनाते है  |तो हम कभी भी वायरल फीवर के शिकार नहीं होते है | किन्तु पर्याप्त सावधानी के बाद भी आप वायरल फीवर के शिकार हो जाते है |  तो आप आसानी घरेलू उपायों से आसानी से वायरल फीवर से सुरक्षित हो जाते है |

वायरल फीवर से बचने के सरल घरेलू उपाय(Simple Home Remedies to Avoid Viral Fever) :        दालचीनी का सेवन गले के दर्द व संक्रमण को दूर करता है | उक्त स्थिति होने पर दालचीनी की आधा चम्मच पावडर को एक चम्मच शहद के साथ चाट ले | आप दालचीनी को अपने आहार में भी मिलकर भी सेवन कर सकते है | आधा चम्मच दालचीनी व 2 इलायची को एक ग्लास पानी में उबाले | पानी की मात्रा आधी रहने पर इसे ठंडा कर इसकी आधा कप मात्रा दिन में 2 बार सेवन करे |

धनिया पावडर शरीर की जीवनी शक्ति बढ़ाकर वायरल फीवर से सुरक्षित करे(Coriander Seeds help to boost Immunity & Viral Fever):                                                                  वायरल फीवर से बचने के लिये सूखे धनिये का पावडर अनेक औषधीय गुणों को लिए हुए होता है | इसका सेवन हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है | इसमें पाया जाने वाला तेल वायरल फीवर को कम कर देता है| यदि एक ग्लास पानी में 1 चम्मच धनिये का पावडर को डालकर उबाल ले | आधा ग्लास पानी रहने पर इसकी दो मात्रा बना ले इसका सुबह शाम सेवन करे | यदि आप बारिश के मौसम में इस पेय को सप्ताह में एक बार सेवन कर लेते है तो आप की जीवनी शक्ति बढ़ जाती है |

किशमिश व नीम्बू का सेवन वायरल फीवर में लाभ देता है (Rasins-Home Remdy for Viral Fever in Hindi):           

किशमिश में वायरल फीवर में शक्ति प्रदान करने के चमत्कारिक गुण होते है | 2 चम्मच किशमिश को धोकर रात में पानी में गला दे | सुबह इसके पानी को पी ले | किशमिश पर नीम्बू का रस लगाकर इसका सेवन कर ले |

वायरल फीवर के लक्षणों से राहत दिलाये लौंग और तुलसी (Clove & Basil- Home Remedy for Viral Fever in Hindi):1 ग्लास पानी में 15-20 तुलसी व 2 लौंग को आधा पानी रहने तक उबाल ले | इस पानी के तीन भाग कर दिन में 3 बार सेवन कर ले | चाय में तुलसी का प्रयोग कर सकते है | तुलसी ड्राप का भी प्रयोग किया जा सकता है | अपने पानी के बर्तन में 5-10 बून्द तुलसी ड्राप डाली जा सकती है |

वायरल फीवर से राहत दिलाये-गिलोय का काढ़ा :(Giloy-Home Remedy for Viral Fever in Hindi)    एक गिलोय की 4 इंच लम्बी तने का टुकड़ा 5-6 गिलोय के पत्ते, आधा चम्मच दालचीनी पावडर, आधा चम्मच सौंठ पावडर, 15-20 तुलसी के पत्ते, 5 पीसी हुई लोग, 5 पीसी हुई काली मिर्च, आधा चम्मच मुलेठी पावडर को आधा लीटर पानी में उबाल ले | आधा पानी रहने तक उबाले | इसकी एक चौथाई मात्रा दिन में 3 बार सेवन करे | इसका सेवन करने से वायरल फीवर में लाभ मिलता है |

वायरल फीवर में लाभदायी मैथी दाने का पानी (Fenugreek water benefit to treat Viral Fever in  Hindi):           

रात को २ चम्मच मैथी दाना एक ग्लास पानी में गला दे | मैथीदाने के प्रयोग में लाने के पूर्व पानी से अच्छी तरह से धो ले | इस पानी को सुबह गुनगुना कर के पी ले | बचे हुए मैथीदाने को दाल या सब्जी के साथ पकाकर सेवन कर ले |

वायरल फीवर में हल्दी व सौंठ के काढ़े से राहत पाये(Home Remedies for Viral Fever treatment in hindi)           

एक ग्लास पानी में आधा चम्मच हल्दी का चूर्ण, आधा चम्मच सौठ का पावडर , आधा चम्मच गुड़ | इन सब को पानी आधा रहने तक उबाले | इसकी एक चौथाई कप मात्रा दिन में २ बार पानी के साथ सेवन करे |

दालचीनी का प्रयोग गले का दर्द दूर करता है (Cinnamon- Home Remdies for Viral Fever in Hindi):                                       

दालचीनी में अनेक औषधीय गुण पाए जाते है | यदि एक चौथाई चम्मच (5 ग्राम ) दालचीनी पावडर को एक चम्मच शहद के साथ अच्छी तरह से मिलाकर सेवन करे । वायरल फीवर में लाभ मिलता है |

वायरल फीवर होने पर डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए(When to Contact the Doctor) :            वायरल फीवर होने पर उक्त उपायों में से कोई 1-2 उपाय आप अपने शरीर की प्रकृति के अनुसार ही करे | उचित लाभ नहीं होने पर होने पर इंतजार नहीं करना चाहिए | क्योकि यदि आपको बुखार आ रहा है तो निश्चित ही इंतजार करना उचित नहीं है | वायरल फीवर आने पर किसी अनुभवी होम्योपैथी /आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य प्राप्त करना चाहिए | किन्तु यदि इन्फेक्शन ज्यादा है तो ऐलोपैथी चिकित्सक से परामर्श लेने में हिचक नहीं करना चाहिए |

ध्यान रखे केवल किसी भी पध्दति की चिकित्सा लेना ही पर्याप्त नहीं है | अपने आहार में उचित सुधार करना होगा | जब आपके आहार में पर्याप्त मात्रा में मौसमी फल व सुपाच्य आहार अर्थात चपाती व सब्जी का सेवन करेंगे  | तब ही आप शीध्र स्वास्थ लाभ प्राप्त कर पाएंगे | किन्तु यदि आप नियमित सेवन किया जाने वाला भोजन करते है तो निश्चित ही आपको चिकित्सा लाभ प्राप्त करने में समय लग सकता है | इसके लिये आपको आहार सम्बंधित कुछ सुझाव दिए जा रहे है |

वायरल फीवर से सुरक्षित रहने के सर्वाणिम सूत्र (Golden Rule to stay Safe from viral Fever):      यदि आप चाहते है की आप व आपका परिवार बारिश के मौसम में वायरल फीवर व अन्य किसी प्रकार के रोग का शिकार न हो | तो आपको जीवनचर्या के कुछ नियमो का पालन करना होगा | यदि आप आहार के बारे में दिए गए निर्देशों का पालन करते है तो आप बारिश के मौसम को आनंद व मस्ती का मौसम बना सकते है |

बिना भूख के आहार कदापि सेवन न करे |
बारिश के मौसम में नाशपाती, पपीता , सेवफल व अन्य मौसमी व स्थानीय फलो व सब्जियों का सेवन करे |
जहॉं तक हो सके एसिडिटी, कब्ज से मुक्त रहने करे |
विश्राम को अपनी जीवनचर्या में विश्राम दे |
अपने शरीर की सीमा में रहते हुए उपवास करे |
चाय / काफी का सिमित मात्रा में ही सेवन करे |
बुखार होने पर रसीले फलों का पर्याप्त सेवन करे ताकि शरीर में पानी की कमी न हो  |

वायरल फीवर की श्रेष्ठ एंटी बायोटिक दवा (Best Antibiotic for Viral Fever):                        वर्तमान समय में चिकित्सा शास्त्रियों ने अनेक एंटी बायोटिक दवाओं को खोज लिया है | किन्तु इन दवाईयों का सेवन किसी ऐलोपैथी चिकित्सक में मार्गदर्शन में ही करना चाहिए | कभी भी मन से कोई एंटी बायोटिक दवा का सेवन नहीं करना चाहिए | निरंतर बिना चिकित्सक के एंटी बायोटिक दवा का सेवन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है |

वायरल फीवर की आयुर्वेद में चिकित्सा (Ayurvedic Medicine for Viral Fever):                      वायरल फीवर की आयुर्वेदिक चिकित्सा में विभिन्न आयुर्वदिक काढ़े आते है | इनका प्रयोग रोग की प्रारम्भिक अवस्था में किया जा सकता है |

होम्योपैथी में वायरल फीवर की चिकित्सा (Homeopathic Medicine for Viral Fever):                  होम्योपैथी में वायरल फीवर की चिकित्सा की जा सकती है | किसी कुशल होम्योपैथी चिकित्सक के मार्गदर्शन में वायरल फीवर की चिकित्सा करवाई जा सकती है |

हमारा उदेश्य आपको वायरल फीवर ही न हो | इस उदेश्य से इस लेख का लेखन किया गया है | किन्तु यदि आपको बुखार आ ही जाता है तो आप किसी कुशल चिकित्सक से परामर्श अवश्य ले |  आप अपने को अपने परिवार को वायरल फीवर की वजह से होने वाले खतरों से सुरक्षित कर सके |

वायरल फीवर में विशेष सावधानी(Special Care for Viral Fever) :                                  उक्त उपायों में से कोई 1-2 उपाय आप अपने शरीर की प्रकृति के अनुसार ही करे |

https://en.wikipedia.org/wiki/The_Viral_Fever

https://en.wikipedia.org/wiki/The_Viral_Fever

https://en.wikipedia.org/wiki/Yellow_fever

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