शीतली प्राणायाम करने का सही तरीका और फायदा Benefits of Sheetali Pranayam

sheetalli pranayam ke benefits

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शीतली प्राणायाम करने का सही तरीका और फायदा Benefits of Sheetali Pranayam

Benefits of Sheetali Pranayam
Benefits of Sheetali Pranayam

शीतली प्राणायाम क्या है? Benefits of Sheetali Pranayam- Dr.Jagdish Joshi, Life Style Expert 125

Benefits of Sheetali Pranayam – What is Sheetali Pranayam – शीतली प्राणायाम का उल्लेख घेरण्ड संहिता व अनेक योग ग्रंथो मे मिलता है | शीतली प्राणायाम को योग अभ्यास के बाद किया जाता है | ताकि शरीर की अनावश्यक गर्मी कम हो सके |

शीतली शब्द संस्कृत के ‘शीतल’ शब्द से बना है | जिसका शाब्दिक अर्थ ठंडक है | शीतली नाम से ही पता चलता है की इस प्राणायाम से शरीर को ठंडक मिलती है | जब हम गर्मी के मौसम मे बहुत बैचनी महसूस करते है | जब हम योग का अभ्यास करते है | जब हम कोई कठिन व्यायाम करते है |  तब इस प्राणायाम से शरीर को शीतलता मिलती है | इस प्रकार शरीर को आराम मिलता है |

शीतली प्राणायाम करने के लाभ  (Sheetali Pranayam Benefits in Hindi):

शीतली का अर्थ होता है ठंडा करने वाला अर्थात शीतलता प्रदान करना |  प्राय: बाहरी वातावरण की गर्मी व पेट की गर्मी की वजह से शरीर का तापमान बहुत बढ़ जाता है | ऐसी स्थिति में हम असहज महसूस करते है | हमें अत्यधिक गर्मी लगती है | किन्तु यदि ऐसी अवस्था में शीतली प्राणायाम का अभ्यास कर लिया जाय तो   हमारे शरीर को तुरंत चमत्कारिक ठंडक का अहसास होता है।

इस बात को हम एक उदाहरण के माध्यम से समझ सकते है | जब हम बहुत तेज गर्मी में बहुत देर तक प्यासे रहते है | ऐसी स्थिति में यदि हमें एक ग्लास शीतल पानी पीने को मिल जाता है तो हम बहुत राहत का अनुभव करते है | यही लाभ हमको शीतली प्राणायाम के अभ्यास से मिलता है |

शीतली प्राणायाम का अभ्यास हमारे शरीर को शीतलता तो प्रदान करता ही है | इसके साथ हमारे मन को भी शांत करता है |  शीतली प्राणायाम का उदेश्य है शरीर के तापमान को उचित स्तर पर बनाए रखना | शरीर को ठंडक प्रदान करना है |

शीतली प्राणायाम को हम कब करे ? (Benefits of Sheetali Pranayam ):

जब भी हमारे शरीर का तापमान बढ़ा हुआ हो | जब हम अत्यधिक गर्मी का  अहसास करे | शीतली प्राणायाम का  अभ्यास कर लेना चाहिए | इस प्राणायाम के अभ्यास से हम शरीर के तापमान को सामान्य कर पाते है |

मोटापा कैसे कम करे? (Sheetali Pranayam in Hindi):

योग के महान ग्रंथ हठ योग प्रदीपिका में उल्लेख किया गया है | उज्जायी प्राणायाम का  अभ्यास करने से हम प्यास और भूख को भी नियंत्रित करने में सफल हो जाते हैं। इस प्रकार शीतली प्राणायाम के माध्यम से हम अपना मोटापा भी कम करने में सफल हो सकते है |

शीतली प्राणायाम कैसे किया जाता है? (How to do sheetali pranayama):

शीतली प्राणायाम को करने के लिए किसी भी आराम दायक स्थिति में बैठ जाये | पदमासन/ सुखासन में भी बैठ सकते है |

दोनों हाथो से ज्ञान मुद्रा लगा ले | अपने दोनों हाथ घुटनो पर रखे | अपनी आँखो को बंद रखे |

अब अपनी जीभ को बाहर की और निकाले व जीभ को गोल नली के समान बना ले | अब आपको इस क्रिया में नाक से श्वास नही लेना है | जीभ के माध्यम से प्रयास करते हुए धीमी गति से सुर-सुराहट की आवाज के साथ वायु को जीभ को स्पर्श कराते हुए श्वास लेना है |

यदि आप जीभ को नही मोड़ पाते है तो आप जीभ के माध्यम से स्पर्श कराते हुए श्वास मुंह से लेना है |

जिस प्रकार कूलर के पंखे को पानी में गीले किए हुए पेड़ से हवा ठंडी हो जाती है | वैसे ही जीभ के माध्यम से श्वास लेने से हमारे शरीर में ठंडी हवा जाएगी | इस अभ्यास से शरीर में बर्फ जैसी ठंडक का अहसास होता है |

इस प्रकार श्वास लेने के बाद गर्दन को आगे की और झुकाकर (जालंधर बंद) रखे व मूल बंद भी लगा ले | मूल बंद के लिए अपने गुदा व्दारा को संकोचित कर ऊपर की और खीचकर रखे | जब तक इस स्थिति में श्वास रोक सके रोके | जब श्वास नही रोक पाये धीरे से नाक के माध्यम से श्वास को बाहर निकाल दे |

शीतली प्राणायाम कौनसे आसन के बाद करे? (Sheetali Pranayam Benefits in Hindi):

जब आप योग के अभ्यासों को  करते हैं तो शरीर का तापमान बढ़ जाता है।  सूर्य नमस्कार करने के बाद भी शरीर का तापमान बढ़ जाता है | जब आप कोई कठिन शारीरिक कार्य करते है तो शरीर का तापमान बढ़ जाता है | ऐसी समस्त परिस्थितियो में इस शीतली प्राणायाम को कर सकते है |

जब हम कोई शारीरिक अभ्यास करते है  टहलना, दौड़ना या किसी वजह से आपके शरीर का तापमान बढ़ जाता है तो शरीर के तापमान को सामान्य करने के लिए इस प्राणायाम का अभ्यास कर लेना चाहिए | इस प्रकार आप शारीरिक थकान से मुक्त हो जाएगे |

जब हम यात्रा कर रहे है | हमें बहुत अधिक प्यास लगती है | पानी  उपलब्ध नहीं है | ऐसी अवस्था में इस प्राणायाम का शुध्द हवा में शीतली प्राणायाम  कर लेना चाहिए |

शीतली प्राणायाम के फायदे:

योग विज्ञान के अनुसार इसके सेवन से पित्त विकारो का शमन होता है | पित्त विकार (ऐसिडिटी) मे शरीर मे अत्यधिक गर्मी होती है | इसके अभ्यास से ऐसिडिटी मे लाभ होता है | पाचन सम्बंधित बीमारियो मे लाभ होता है | शरीर की गर्मी कम होने से चिंता, गुस्सा, तनाव कम होता है |

सूर्यादय के पूर्व शीतली प्राणायाम का अभ्यास करने से याददास्त बढ़ती है | मन शक्तिशाली होता है | इस प्राणायाम के अभ्यास से रक्त शुद्ध होता है | शरीर तरोताजा होता है | जो व्यक्ति सुबह उठकर थकान, सुस्ती महसूस करते है ? उन्हे इस प्राणायाम के अभ्यास से इन रोगो से मुक्ति मिलती है |

रक्त शुध्द होने से चेहरे पर चमक आती है | उच्च रक्तचाप, अपचन, अल्सर, बुखार, त्वचा रोग मे इसका अभ्यास लाभदायी है| इस प्राणायाम का अभ्यास करने से संक्रमण से सुरक्षित होते है |

शीतली प्राणायाम करने हेतु सबसे उपयुक्त ऋतु कौनसी है?  (Sheetali and sheetakari pranayam benefits):

शीतली प्राणायाम करने हेतु सबसे उपयुक्त ऋतु गर्मी की है | जब वातावरण मे अत्यधिक गर्मी होती है तब शीतली प्राणायाम किया जा सकता है | इसके साथ ही जब भी आपके शरीर की गर्मी बढ़ जाती है तो शीतली प्राणायाम करना लाभप्रद रहता है |

शीतली व शीतकारी प्राणायाम दोनों प्राणायामों का अभ्यास शरीर को ठंडक का अहसास देता है |

मोटापे पर नियंत्रण पाने के लिए(Sheetali Pranayam Benefits in Hindi):

यदि आप मोटापे पर नियंत्रण पाना चाहते है तो भी इस शीतली प्राणायाम को कर सकते है | क्योकि इस प्राणायाम के अभ्यास से मोटापा नियंत्रित हो जाता है | क्योकि इस प्राणायाम को करने से भूख प्यास पर हम नियंत्रण कर पाते है |

शीतली  प्राणायाम के बाद कौन सा आसन करे?:

इस प्राणायाम को  करने के पश्चात शवासन का अभ्यास करना लाभ प्रद होता है | शीतली प्राणायाम के अभ्यास के बाद शवासन करने से शरीर व मन शांत होता है |

किन लोगों को शीतली प्राणायाम नही करना है?:जिन लोगो का रक्तचाप बहुत बढ़ा हुआ रहता है | जो ह्रदय रोगी,  जुकाम, दमा, निम्न रक्तचाप के शिकार है |

आर्ट आफ लिविंग द्वारा शीतली प्राणायाम (Sheetali pranaayama art of living):

आर्ट आफ लिविंग संस्था द्वारा भी अपने साधको को शीतली प्राणायाम का अभ्यास करवाया जाता है |

शीतली प्राणायाम किन्हे नही करना चाहिए (Who should not do Sheetali):

शीतली प्राणायाम का अभ्यास करने से शरीर मे शीतलता आती है | इसके साथ ही मस्तिष्क शांत होता है |

किन्तु जिन लोगो को निम्न रक्तचाप, अस्थमा व सर्दी-खांसी के शिकार व्यक्तियों को नही करना चाहिए |

शीतली प्राणायाम करते समय आवश्यक सावधानी (Sheetali pranayama precautions):

जिनकी पाचन अग्नि मंद है, पाचन संबन्धित पुरानी समस्या व ह्रदय रोग है | ऐसे  सभी लोगो को शीतली प्राणायाम नही करना चाहिए |जब वातावरण में अत्यधिक ठंडक हो? तो भी इस शीतली प्राणायाम का अभ्यास नही करना चाहिए |

जिन लोगो को कोई रोग विशेष है उन्हे शीतली प्राणायाम के अभ्यास को श्वास रोक कर नही करना चाहिए | ऐसे लोगो को बिना जालंधर बंध व मूल बंध के करना चाहिए |

https://www.banyanbotanicals.com/info/ayurvedic-living/living-ayurveda/yoga/sheetali-pranayama/

https://en.wikipedia.org/wiki/Sheetal

https://en.wikipedia.org/wiki/Pranayama

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