गोल्डन मिल्क के चमत्कारिक लाभ Golden Milk Health Benefits

Golden Milk Health Benefits

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गोल्डन मिल्क के चमत्कारिक लाभ Golden Milk Health Benefits

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Golden Milk Health Benefits

सर्दी व एलर्जी की समस्या तो एक आम समस्या है | इस समस्या के लिये व्यक्ति न जाने कितनी चिकित्सा पध्दति आजमाता है, किन्तु लाभ नहीं मिलता है | यदि हम अपने आहार में कुछ औषद्यिय युक्त आहार का सेवन करते है हम अनेक रोगो से सुरक्षित हो जाते है |

आज हम गोल्डन मिल्क के बारे में जानेगे | प्राय: गोल्डन मिल्क के बारे में पूर्ण जानकारी के अभाव में हम इसके चमत्कारिक लाभों से वंचित रहते है | आज के समय में अनेक रोगो की वजह से मनुष्य परेशान है |

प्रकृति ने हमें अनेक प्रकार के आहार दिए है | इनमे से कुछ खाद्य पदार्थ औषधीय गुणों से भरपूर है | आज हम ऐसे ही कुछ खाद्य पदार्थो के औषधीय गुणों के बारे में जानेगे | ऐसे ही औषधीयुक्त व चमत्कारिक गुणों से भरपूर गोल्डन मिल्क है |

गोल्डन मिल्क (Golden Benefits)के नियमित प्रयोग से हम पाचन सम्बन्धित रोग, हृदय रोग, श्वसन समबन्धित रोग, हड्डियों के रोग, मानसिक रोग, जीवन शक्ति के रोग, सूजन, कैंसर व अनेक रोगों से सुरक्षा प्रदान करने वाले गुणों से परिचित होंगे | गोल्डन मिल्क में क्या-क्या औषधीय गुण है | इसका सेवन कैसे किया जाना है? इसके क्या वैज्ञानिक आधार है | इसे किसे नहीं सेवन करना है | इसके बारे में विस्तार से जानेगे |

यदि आप गोल्डन मिल्क को अपने परिवार को सेवन कराते है तो निश्चित रूप से आप स्वस्थ समाज व स्वस्थ विश्व के निर्माण में अपना योगदान दे सकेगे |

Golden Milk- गोल्डन मिल्क को हम हल्दी वाला दूध भी कहते है | हल्दी मिक्स दूध को पश्चिम देशो में गोल्डन मिल्क के नाम से जाना जाता है | हल्दी वाले दूध में हल्दी व अद्रक मिलाकर उसके स्वाद को बढ़ाया जाता है | इस प्रकार हम इस दूध को गोल्डन मिल्क कहते है |

गोल्डन मिल्क में स्वास्थ्य को चमत्कारिक लाभ मिलता है | इसके सेवन से शरीर की जीवनी शक्ति (Immunity) में अपार वृध्दि होती है |

गोल्डन मिल्क(Golden Milk) के निम्न लिखित लाभ है?

एंटी आक्सीडेंट से भरपूर (Anti Oxidant Food):

गोल्डन मिल्क का मुख्य तत्व हल्दी होता है | इसमें कुरकमिन नामक(Turmeric Milk) तत्व पाया जाता है | इस तत्व में उनके चमत्कारिक गुण पाए जाते है | कुर्कुमिन में पर्याप्त मात्रा में एंटी आक्सीडेंट तत्व पाए जाते है | इसमें पाए जाने वाले एंटी आक्सीडेंट (Anti Oxidant) तत्व शरीर की कोशिकाओ को क्षय से बचाते है | इस तत्व के सेवन से हम संक्रमण (Infection) से सुरक्षित हो जाते है | इसके साथ ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है |

सूजन व जोड़ो के दर्द से मुक्ति (Golden Milk Health Benefits):

गोल्डन मिल्क(Golden Milk) में पाया जाने वाला तत्व हल्दी में सूजन दूर करने का चमत्कारिक गुण पाया जाता है | शरीर के किसी अंग में होने वाली सूजन (Inflammation) केंसर, एल्जामर व् अन्य रोगो होने की संभावना रहती है | हल्दी में पाया जाने वाला तत्व कुर्कमिन की तुलना हम रासायनिक दवा से भी कर सकते है | जो हमारे स्वास्थ को बिना नुकसान पहुचाये लाभ देती है |

गोल्डन मिल्क के लाभ (Golden Milk Health Benefits):

यदि हम दूध में हल्दी के साथ-साथ दालचीनी  पावडर व साथ अद्रक(Ginger) के साथ मिलाकर अच्छी तरह से उबाल कर सेवन करना है | इस प्रकार के गोल्डन मिल्क का सेवन कर हम सूजन की वजह से होने वाले रोग केंसर, एल्जामर व अन्य रोगो से हमारी सुरक्षा हो जाती है |

इसके साथ गोल्डन मिल्क से जोड़ो के दर्द व सूजन में आशातीत लाभ होता है |

स्मरण शक्ति व मस्तिष्क की क्षमता (Brain Power) को बढ़ाए :

गोल्डन मिल्क (Golden Milk) के माध्यम से मस्तिष्क की क्षमता में वृद्धि होती है | शोध से ज्ञात हुआ की गोल्डन मिल्क का सेवन करने से मस्तिष्क को नये संयोग बनाने में मदद मिलती है | इससे मस्तिष्क की कोशिकाओं का विकास होता है | नियमित रूप से गोल्डन मिल्क के सेवन से आप अल्जाइमर व अन्य मस्तिष्क सम्बंधित रोगो से सुरक्षा हो जाती है | गोल्डन मिल्क में दालचीनी का प्रयोग इसके गुणों में अपार वृद्धि करता है | गोल्डन मिल्क में दालचीनी का सेवन पार्किन्सन रोग से भी सुरक्षा प्रदान करता है |

अद्रक का प्रयोग मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाता है |

कुर्कमिन का प्रयोग मन को प्रसन्नता प्रदान करता है (Golden Milk Health Benefits):

गोल्डन मिल्क में पाया जाने वाला तत्व कुर्कमिन(Curcumin) मन को प्रसन्नता प्रदान करता है | इसके सेवन से मन खुश रहता है | गोल्डन मिल्क (Golden Milk )के सेवन से आप अवसाद से मुक्त रहते है |

चिकित्सा विशेषज्ञों ने अवसाद से ग्रस्त रोगियों को नियमित दवाओं के सेवन के साथ गोल्डन मिल्क का सेवन कराया तो रोगियों में चमत्कारिक परिणाम प्राप्त हुए | इस प्रकार हम कह सकते है की गोल्डन मिल्क का सेवन अवसाद (Depression) के लक्षणों को दूर करने में सहायक है | इस विषय पर और शोध की आवश्यकता है |

हल्दी अद्रक का प्रयोग पाचन प्रणाली को स्वस्थ करे (How to Cure Digestive Disorder):

भोजन के अच्छी तरह से नहीं पचने की वजन से अपचन की शिकायत हो जाती है | अपचन की शिकायत पेट के ठीक तरह से साफ नहीं होने की वजह से होती है | गोल्डन मिल्क के सेवन से पेट अच्छी तरह से साफ है |

विभिन्न शोधो से ज्ञात हुआ है की हल्दी में पाया जाने वाला तत्व अपचन (Digestive Disorder) के लक्षणों को काम करने में मदद करता है | इसकी साथ ही पित्त के उत्पादन को बढ़ाता है | इस वजह से वसा का पाचन अच्छी तरह से होता है | क्योकि वसा का पाचन अच्छी तरह से नहीं होने की वजह से हृदय रोग(Heart Disease) व मोटापे(Obesity) को कम करने में मदद मिलती है |

हृदय रोग से सुरक्षा प्रदान करे (Keep Your Heart Healthy) :

गोल्डन मिल्क में पाया जाने वाला तत्व हल्दी, दालचीनी व सौंठ का नियमित सेवन शरीर को हृदय रोग से सुरक्षा प्रदान करता है | शोध से ज्ञात हुआ है की गोल्डन मिल्क में दालचीनी के प्रयोग से ट्राय ग्लिसराइड ओर खराब कोलेस्ट्रॉल एल. डी. एल. का स्तर कम होता है | जबकि अच्छे कोलेस्ट्रॉल एच डी एल का स्तर बढ़ता है | इस प्रकार ह्रदय को हम सुरक्षा प्रदान कर पाते है |

रक्त शर्करा के स्तर को उचित लेवल पर बनाये रखना (Golden Milk Health Benefits) :

गोल्डन प्रयोग की जाने वाली दालचीनी, अद्रक रक्त शर्करा के स्तर को उचित स्तर पर बनाने में सहायक होती है |

दालचीनी की 1-6 ग्राम मात्रा रक्त शर्करा के स्तर(Blood Sugar Level )को 29% तक काम कर सकती है | दालचीनी के प्रयोग से इन्सुलिन रजिस्टेन्स की क्षमता में वृध्दि होती है | इस प्रकार हम मधुमेह को नियंत्रित करने में सफल हो जाते है | नियमित रूप से रात को सोने के पूर्व गोल्डन मिल्क का प्रयोग करते है तो निश्चित ही मधुमेह जैसे रोग में स्वस्थ जीवन का आनंद ले सकते है |

गोल्डन मिल्क (Golden Milk ) में अदरक के प्रयोग से भी रक्त शर्करा (Blood Sugar) को नियंत्रित करने में मदद मिलती है | खासतोर पर फास्टिंग शुगर (Fasting Sugar) को अद्रक के नियमित सेवन से नियंत्रित किया जा सकता है |

अद्रक का नियमित सेवन A1C (Average Blood Sugar Level for Last 3 Months) मात्रा को 10%तक कम कर सकती है | A1C के नियंत्रित होने से भविष्य में मधुमेह से सुरक्षा हो जाती है | इस विषय में और भी शोध जारी है |

गोल्डन मिल्क सेवन से मधुमेह सम्बंधित लाभ केवल बिना शक्कर के दूध सेवन से प्राप्त हो सकते है |

कैंसर से सुरक्षा प्रदान करे(How to keep Away from Cancer):

वैज्ञानिक शोध बताते है की गोल्डन मिल्क के सेवन से कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है | इसके साथ ही जिन्हे कैंसर रोग नहीं है वे गोल्डन मिल्क के सेवन से अपने को सुरक्षित कर सकते है |

अद्रक में पाया जाने वाला तत्व जिंजरोल कैंसर विरोधी(Anti Cancer ) होता है | जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने नहीं देता है | दाल चीनी में केन्सर कोशिकाओं की वृध्दि को रोकें के गुण पाए जाते है | इस प्रकार गोल्डन मिल्क हमें केन्सर जैसे असाध्य रोग से सुरक्षा प्रदान करता है |

हल्दी में पाया जानें वाला तत्व कुर्कमिन कैंसर कोशिकाओं को मरने में सक्षम है | इसके साथ ही टुयमर में रक्त वाहिकाओं के विकास को रोकता है | जिससे कैंसर फैलने की संभावना ख़त्म हो जाती है

एंटी बैक्ट्रियल व एंटी फंगल गुण(Full of Anti Bacterial and Anti Fungal) :

हल्दी में एंटी बैक्ट्रियल व एंटी फंगल गुण पाए जाते है | यदि हम नियमित रूप से गोल्डन मिल्क के दूध का सेवन करते है तो सर्दी-खांसी व कफ जनित रोगो में लाभ होता है | किन्तु ध्यान रखे यदि शरीर में कफ की मात्रा अधिक है तो दूध फेट फ्री होना चाहिए | किन्तु यदि कफ की मात्रा बहुत अधिक है तो दूध के स्थान पर पानी का प्रयोग किया जा सकता है |

कुर्कमिन में एंटी बैक्ट्रिरियल व एंटी फंगल गुण पाए जाते है | इन गुणों की वजह से हम संक्रमण से सुरक्षित रहते है |

अद्रक के सेवन से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृध्दि होती है | इस वजह से हम सर्दी-खांसी व अन्य एलर्जी से सुरक्षित रहते है |

दालचीनी में पाया जाने वाला योगिक सिनामालडिलहाईड बैक्ट्रियल इंफेक्शन (Bacterial Infection) से हमें सुरक्षा प्रदान करता है | इस प्रकार हम सर्दी जनित रोगो से सुरक्षित हो जाते है |

गोल्डन मिल्क (Golden Milk )में पाए जाने वाले एंटी इंफ्लेमटरी व एंटी आक्सीडेंट गुण हम श्वसन सम्बंधित(Respiratory System)रोगो में सुरक्षा प्रदान करते है |

शोध से ज्ञात हुआ है की हल्दी पाचन प्रणाली को स्वस्थ बनाती है | इस वजह से अल्सरेटिव कोलाइटिस रोग में लाभ आता है | हल्दी का प्रयोग सूजन को दूर करता है जिससे आंतो में अल्सर होता है |

इस प्रकार हम देखते है की गोल्डन मिल्क (Golden Milk) हमारे पाचन प्रणाली को स्वस्थ बनाकर हमे आरोग्य प्रदान करता है |

कैल्शियम व विटामिन ‘डी’ का भंडार (Treasure of Calcium &Vitamin ‘D’) :

गोल्डन मिल्क(Golden Milk) कैल्शियम व विटामिन ‘डी’ प्रदान करता है | उक्त दोनों घटक हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करते है | यदि हमारे आहार में कैल्शियम व विटामिन ‘डी’ की कमी है तो हमारी हड्डियों के कमजोर होने की पूर्ण संभावना है | इस वजह से भविष्य में हम आस्ट्रोपोरेसिस(Osteoporosis) के शिकार भी हो सकते है |

विटामिन डी हमारे आहार से कैल्शियम को अवशोषित कर हड्डियों को शक्तिशाली बनाता है | किन्तु यदि आपके आहार में विटामिन ‘डी ‘शामिल नहीं है तो आप कितना ही कैल्शियम का सेवन कर ले आपकी हड्डियां मजबूत नहीं होगी | विटामिन ‘डी’ हमें सूर्य की किरणों के माध्यम से प्राप्त होता है |

यह देखा गया है की अनेक लोगो में विटामिन ‘डी’ की कमी होती है | इस वजह से वे कमजोर हड्डियों के शिकार हो जाते है |

गाय के दूध में प्राकृतिक रूप से कैल्शियम होता है | गाय का दूध विटामिन ‘डी’ का भण्डार है |

गोल्डन मिल्क कैसे बनाये (Golden Milk Recipe) :

गोल्डन मिल्क बनाने के लिए निम्न लिखित खाद्य पदार्थो की आवश्यकता होती है :
200 ग्राम दूध
1/4 चम्मच हल्दी
1/4 चम्मच अद्रक का पेस्ट
आधा चम्मच दालचीनी पावडर
एक चुटकी काली मिर्च
एक चम्मच शहद या जैविक गुड़

गोल्डन मिल्क बनाने की प्रक्रिया(How to Prepare Golden Milk) :

समस्त खाद्य सामग्री को अच्छी तरह से उबाले | अच्छी तरह से उबालने के पश्चात इसमें एक चुटकी दाल चीनी डाले | यदि आप शहद का प्रयोग कर रहे है तो दूध के तापमान को सामान्य होने के बाद शहद को मिला ले | यदि आप इस दूध को गर्म सेवन करना चाहते है तो जैविक गुड़ को दूध के साथ उबाल ले |

इस दूध को बनाकर 2-3 दिन के लिये फ्रिज में भी रहा जा सकता है | किन्तु इसे प्रयोग करने के पूर्व गर्म करना अनिवार्य है | किन्तु यदि ताजा गोल्डन मिल्क बनाया जाता है तो बेहतर होगा |

सामान्य हल्दी वाला गोल्डन मिल्क :

जो लोग गोल्डन मिल्क मे विभिन्न प्रकार के मसाले नही डाल पाते है | ऐसे लोग सामान्य हल्दी का सेवन कर के भी गोल्डन मिल्क बना सकते है |

एक ग्लास दूध मे कितनी हल्दी डाले :

एक ग्लास दूध मे 5-10 ग्राम हल्दी डाल सकते है | ध्यान रखे हल्दी की मात्रा व्यक्ति  के शरीर की प्रकृति के अनुसार होगी | यदि व्यक्ति की कफ की प्रकृति है अर्थात उसे ठंड लगती है तो उसके लिए उपरोक्त मात्रा सही है |

किन्तु यदि व्यक्ति की प्रकृति गरम है | व्यक्ति ऐसिडिटी का शिकार है | तो ऐसी अवस्था मे 1-2 चुटकी हल्दी ही पर्याप्त होगी |

हल्दी का सेवन मौसम मे ठंडक होने पर ही किया जाना है |

हल्दी का दूध कितने दिन पीना चाहिए:

हल्दी का दूध ठंड के मौसम मे 2-3 माह तक सेवन किया जा सकता है |

आवश्यक सावधानी (Special Precautions) :

कभी भी गर्म दूध में शहद का प्रयोग नहीं करना है | दूध का तापमान सामान्य होने पर ही शहद मिलाना है | यदि आप मधुमेह रोगी है तो शहद व गुड़ का प्रयोग न करे |

यदि आपको अत्यधिक कफ हो रहा है तो भी दूध का प्रयोग न करे | दूध के स्थान पर आप पानी में उक्त खाद्य पदार्थो को मिलाकर इसी विधि से प्रयोग कर सकते है |

उक्त प्रयोग सामान्य प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए है | यदि आपकी प्रकृति गर्म है तो आपको हल्दी (Turmeric), अद्रक (Ginger) का प्रयोग अपने शरीर की प्रकृति के अनुसार ही करना चाहिए |

ह्रदय रोग व उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure) में दूध व दूध उत्पादों को प्रयोग निषेध होता है | इसलिए फैट फ्री दूध का प्रयोग ही करे

यदि आप किसी रोग विशेष के शिकार है तो आपको उक्त प्रयोग अपने चिकित्सक से उचित परामर्श लेकर ही करना है |

हल्दी वाला दूध किसे नही पीना चाहिए?:

गरम प्रकृति के व्यक्तियों को हल्दीवाला दूध नही पीना चाहिए |

हल्दी दूध के फायदे और नुकसान :

हल्दी दूध कफ व ठंडी प्रकृति (कफ) के लिए उचित है | किन्तु जिनकी प्रकृति गरम है | अर्थात जिन्हे ऐसिडिटी की शिकायत रहती है | जिन्हे गर्मी सहन नही होती है | ऐसे लोगो को हल्दी वाला दूध नही पीना चाहिए |

प्राय: देखा गया है की गरम प्रकृति के व्यक्ति यदि हल्दी वाला दूध पीते है तो उन्हे पाईल्स होने की संभावना होती है |

विशेष टीप(Special Tips) :

उक्त लेख का लेखन जन सामान्य को स्वस्थ रखने के लिए किया गया है | यदि आप चाहते है की हम इस लेख को जन-जन तक प्रसारित करने में अपना योगदान दे सकते है ? तो निश्चित ही इसे जन-जन तक प्रसारित कर स्वस्थ समाज के निर्माण में अपना योगदान दे |

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